मेरी शायरी से तुम मेरे हाल का अंदाज़ा मत लगाओ,
ये महीना फरवरी है, औरो के लिए लिख रहा हूँ मैं ।
मेरे कोई अलफ़ाज़ नहीं और ना ही जज़्बात हैं,
जो लोगों से सुना है, बस वहीं लिख रहा हूँ मैं।-
मुझसे बात कर और इस दिल को तसल्ली दे,
ये तेरी याद में आजकल धड़कता बहुत है ।-
उन पत्तों को दरख़्तों से तोड़ देना चाहिए,
जिन पत्तों से दरख्तों को नुकसान होता है ।
इतना भी किसी से लगाव रखना ठीक नहीं,
टूटने से ज़्यादा सूख जाना आसान होता है।-
खोकर एक शाम तुझमें, तुझको ही पाना चाहता हूँ
तुम्हें पाने की जिद में मैं सब कुछ गवाना चाहता हूँ ।-
कहने को तो कई चेहरों से मुतासिर हूँ मैं,
मगर हर चेहरा तो दिल में घर नहीं करता ।
मैं तो बैठा रहता हूँ उसके मैसेज के इंतजार में,
एक उसको ही बात करने का वक्त नहीं रहता ।
-
कैसे इतने कर्ज अदा करोगे,
हमसे तुम आख़िर कितनी वफा करोगे ।
जहाँ जाते हो बस मुझे याद करते हो,
आख़िर कब तक मस्जिद में कजा करोगे ।
-
चर्चे हमारी भी मोहब्बत के जहान में हैं,
उसके रकीबों में एक नाम मेरा भी है ।
चाय को समर्पित-
इरादा तो नहीं था तुमसे दिल लगाने का मगर,
अब जो लगा बैठे हैं तो तुम्हें मना कर मानेंगें ।-
माना मेरी किताबों से मुझे मुहब्बत बहुत है,
मगर उन्हीं किताबों में कहीं तस्वीर भी है तेरी ।-
एक उम्मीद लिए दिल में तेरी तरफ आया हूँ मैं,
तुम चाहो तो सूखे फूलों को फिर से रवाँ कर दो ।
-