खुदा तू ही है, चाहे जो भी है, क्या तेरे सिवा कोई और भी है।।
यहां अपना कौन, पराया कौन, सारी दुनिया को आजमाया कौन??
जो भी है सब तेरा है, ना ही उसका ना मेरा है
कुछ नाम किए उससे पहले, उस काम को करना पड़ता है।।
जन्नत में जाने से पहले यहां, खुद को भी मरना पड़ता है।।
मुझे लिखने का तो शौक नहीं, पर हरगिज़ लिखना पड़ता है।।
दुनिया बहुत अनजान है, बहुत सारे बेईमान हैं।।
कितने खायेंगे छीनकर, यहां बद से बदतर इंसान है।।
इंसानियत की कीमत क्या, जब दो पैसों पर बिकना पड़ता है।।
जन्नत में जाने से पहले यहां, खुद को भी मरना पड़ता है।।
मुझे लिखने का तो शौक नहीं, पर हरगिज़ लिखना पड़ता है।।
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