।।तन्हाई।।
ओ मेरे तन्हाई,
आ तुझसे ही इश्क करूं मैं,
तुझपे ही जीयू मरू मैं,
तुझमें ही जिना है ज़िन्दगी ,
तो फिर क्यों किसी और का दिदार करु मैं।
आ बढ़ा ले दोस्ती खुद से,
जिना सिखला दें तुम मुझे फिर से
तुझमें ही है, जीना मुझको
तुझको ही है संवारना, अब मुझको ।
आ मेरे हमसफ़र बनके,
मेरी जान मेरे मेहबूब बनके,
साथ देना मेरा तुम हमेशा,
चाहे सफर हो कितना भी तन्हा।
ओ मेरे तन्हाई,
मेरी उम्मीद,मेरी मजबुती बन,
तुम में भी कोई ग़म न रहें,
इतनी गहरी साथी बन ,
ओ मेरे तन्हाई।
~@प्रभात कुमार
-
इंतजार कल भी था और आज भी है!
फर्क बस इतना है कल उम्मीद नहीं था ..
और अब से उम्मीद नहीं है।
-
बिज हमने तो प्रेम के बोए थे,
ये नफ़रत भड़ी फसल कैसे हो गई?
@प्रभात कुमार..✍️
-
ख़ुदा मुझे दर्द चाहिए ।
अभी सिर्फ टुटा हूं,
बिखरने के लिए और चाहिए।-
थाम ले ए-जिन्दगी ,
जी लिये जी भर कर।
थोड़ा-थोड़ा दर्द क्यू्ँ देता है ,
दे दे न एक बार ढो कर।
-
मेरे इश्क का कोई किनारा नहीं मिल रहा,
बहती इस कस्ती का साहारा नहीं मिल रहा।-
ग़म ये गोधुलि है ,टल जायेगा।
प्रभात फिर से आमोद लाएगा ।।
@प्रभात कुमार✍️
-
अल्फाजों के सफर में ;
जज़्बातों का क्या लेना।
दिल्लगी भरी महफिल से ;
मुहाब्बत को क्या लेना।
कश्ती डुबी है, जहां का;
मरघट को क्या लेना।
हम एक है, एक ही हैं इस जहान में;
तो.. औरों से क्या लेना।
-@प्रभात कुमार..✍️
-
Alfajo ke safar me jajbato ka kya lena.
Dillagi bhari mafil se muhabbat ka kya lena.
Our kasti dubi hai is jahan ka ,
Shamsano ka kya lena.
Ham ak hai, ak hi hai is jahan me to
Ouro se kya lena.
-