Prabhat Kumar  
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Joined 27 July 2020


Joined 27 July 2020
27 MAY 2021 AT 21:20

।।तन्हाई।।
ओ मेरे तन्हाई,
आ तुझसे ही इश्क करूं मैं,
तुझपे ही जीयू मरू मैं,
तुझमें ही जिना है ज़िन्दगी ,
तो फिर क्यों किसी और का दिदार करु मैं।
आ बढ़ा ले दोस्ती खुद से,
जिना सिखला दें तुम मुझे फिर से
तुझमें ही है, जीना मुझको
तुझको ही है संवारना, अब मुझको ।
आ मेरे हमसफ़र बनके‌,
मेरी जान मेरे मेहबूब बनके,
साथ देना मेरा तुम हमेशा,
चाहे सफर हो कितना‌ भी तन्हा।
ओ मेरे तन्हाई,
मेरी उम्मीद,मेरी मजबुती बन,
तुम में भी कोई ग़म न रहें,
इतनी गहरी साथी बन ,
ओ मेरे तन्हाई।
~@प्रभात कुमार







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9 MAY 2021 AT 14:56

इंतजार कल भी था और आज भी है!
फर्क बस इतना है कल उम्मीद नहीं था ..
और अब से उम्मीद नहीं है।

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21 APR 2021 AT 9:12

इश्क हमने भी किये है...
तन्हा हूं पर अधुरा नहीं।
~@प्रभात कुमार

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22 MAR 2021 AT 15:48



बिज हमने तो प्रेम के बोए थे,
ये नफ़रत भड़ी फसल कैसे हो गई?
@प्रभात कुमार..✍️



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22 MAR 2021 AT 15:13

ख़ुदा मुझे दर्द चाहिए ।
अभी सिर्फ टुटा हूं,
बिखरने के लिए और चाहिए।

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1 MAR 2021 AT 21:26

थाम ले ए-जिन्दगी ,
जी लिये जी भर कर।
थोड़ा-थोड़ा दर्द क्यू्ँ देता है ,
दे दे न एक बार ढो कर।

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1 MAR 2021 AT 21:11

मेरे इश्क का कोई किनारा नहीं मिल रहा,
बहती इस कस्ती का साहारा नहीं मिल रहा।

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17 FEB 2021 AT 14:13

ग़म ये गोधुलि है ,टल जायेगा।
प्रभात ‌ फिर से आमोद लाएगा ।।
@प्रभात कुमार✍️



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9 JAN 2021 AT 17:14

अल्फाजों के सफर में ;
जज़्बातों का क्या लेना।
दिल्लगी भरी महफिल से ;
मुहाब्बत को क्या लेना।
कश्ती डुबी है, जहां का;
मरघट को क्या लेना।
हम एक है, एक ही हैं इस जहान में;
तो.. औरों से क्या लेना।

-@प्रभात कुमार..✍️

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9 JAN 2021 AT 16:46

Alfajo ke safar me jajbato ka kya lena.
Dillagi bhari mafil se muhabbat ka kya lena.
Our kasti dubi hai is jahan ka ,
Shamsano ka kya lena.
Ham ak hai, ak hi hai is jahan me to
Ouro se kya lena.

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