हे कृष्ण
साँवरे
तू ही बस
साँवरिया-
निकले क़लम से
बस सिर्फ़ तेरे लिए.....
(2)
तेरा मिलना है ऐसे
हवा में सुगंध हो जैसे
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अटळ अर अणमोल
प्रीत रीत नेह बरसे
हिवड़ै में लाड दुलार
आंखियां भरे, मन भरे
बेजोड़ ओ रिस्तो
इण संसार-
कुछ बहनें होती है दूर
पीहर के आंगन से दूर
इतनी दूर दिखती नहीं दूर दूर
पर होती है दिल में अटल
रहती है पास हरदम मन में
खुद भी संभाले रखती मन में
घर आंगन, फुलवारी, क्यारी
और हर पौधे से निकले फूल
सहेजती रहती यादों के तानेबाने
महक उनकी आंगन में लेती हिलोरे
बहनें बनी रहती है आस पास मन के
हर कोने से, बातों से, हंसी से,यादों से
बहने, प्यारी बहनें और बेटियां
हर दम रहती है ये आस पास-
मित्र का चित्र होता दिल में,
मिले न मिले भले कई दिनों में।
रंग दुनियावी नहीं होते आपस में,
जज़्बात जुड़े होते मन ही मन में।।-
केवल एक मात्र
बातचीत या वाणी से ही
कार्य की आधी सफलता
पूर्ण हो जाती है। अतः
विनम्र, मधुर, सरल और सहज
समझाने वाली बात या वाणी
बोलिए।-
महकती जिंदगी की, ये बहुत बड़ी बुराई
लालच जिसे भी लगा, बड़ी कीमत चुकाई
स्वार्थ, लालसा और लालच, सब है भाई भाई
जिसने भी अपनाया, गिरने में लगती नहीं बुराई-
समझ लीजिए
अस्तित्व, धोखे का
होता वहीं
जहाँ होता, विश्वास
यदि नहीं होगा विश्वास
धोखा उत्पन्न होगा नहीं
ये समझ आ जाता
धोखा खाने के बाद
विश्वास क्यूँ किया
इतने विश्वास के साथ-
ऊनाळो
बळ बळ बळती बाजे लू
कळ कळ कळके पाणी
तड़ तड़ तड़के तावड़ो
मिनखां रौ डील बळ उठ्यो
हे सूरज भगवान करो मेहर
तपो तपो पण यू मत तपो
राखो टाबरां पर थोड़ी मेहर-