Prabhakar Purohit   (©प्रभाकर ऐश्वर्य पुरोहित)
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Joined 3 January 2018


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29 APR AT 21:36

रंगत इस जहां की बड़ी खूबसूरत
हर रंग बना इसका सिर्फ मुहब्बत
चहक महक सब ओर है प्यार प्यार
जो न हो प्यार अगर, सूना ये संसार

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29 APR AT 21:29

मोहब्बत के ये अज़ब से रास्ते
दूर होने को चले जो एक दूजे से
ख़यालो, ख्वाबों में मिलते रहे
जा रहे थे दूर बस एक दूसरे से
पर कमबख्त ये मोहब्बत के रास्ते
चले थे जहाँ से, वहीं आकर मिल गए

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26 APR AT 16:40

गुल्लक में होती थी गिन्नियों सी खनक
बैठक के कमरों में ढके रखे होते संदूक
चिल्लर जो थोड़ी बहुत अगर होती पास
वो अपने समूह में माने जाते थे कुछ खास
एक ऐसा दौर था जिसमें थी इंसान की पहचान
उस दौर में बस इंसानियत से जाने जाते थे इंसान

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19 APR AT 21:37

सब कुछ छुपा है मिट्टी में
सब छुप जाता है मिट्टी में

बना है सब कुछ मिट्टी से
आखिर जाकर मिलते मिट्टी में।

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15 APR AT 19:32

तुम जेहन से, दिल से निकले ही नहीं
बसते हो दिल में, आबाद मन की बस्ती में
महकती बनकर खुशबू सांसों में हरदम
हवा के हर झोंकें में याद तुम्हारी बरबस
याद, याद, याद तुम हर वक्त आते हो

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15 APR AT 9:53

गहरी काली रात से मांगा था मैंने काजल ।
दिन के उजालों ने उजास दे दिया चेहरे पर ।।

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15 APR AT 9:47

प्रेम नहीं व्यापार
प्रेम नाम है त्याग
विशुद्ध भाव है प्रेम
स्वार्थ अगर आ जाए तो
प्रेम नहीं कहलाए
निःस्वार्थ भाव अर्पण हो
प्रेम साकार हो जाए

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13 APR AT 22:52

प्रीत की डोर ये अनमोल
दो शरीर , आत्मा है एक
एक नाम राधा दूजा है कृष्ण

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13 APR AT 15:55

लम्हा लम्हा बीत रही
चल रही ज्यूँ साँस की धौंकनी
आए कहाँ से, जाना कहाँ
किसे हुई है ख़बर यहाँ
सब जीते किरदार अपना
जैसे कोई रंगमंच है यहाँ
निभाओ कुछ इस तरह किरदार
याद करती रहें जिसे कई पुश्तें यहाँ
आदमी क्या, जमीं भी कभी
भूल ना पाए, तुम्हारा आना यहाँ

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11 APR AT 11:42

ईसर रूप धर शिवजी
गँवर रूप धर माताजी
तिनु लोक ने देवें ग्यान
जोड़ी व्है तो एड़ी जाण

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