Prabhakar Purohit   (©प्रभाकर ऐश्वर्य पुरोहित)
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Joined 3 January 2018


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17 HOURS AGO

आकर गले लगती ये जब
ग़र हम बांट रहे इन्हें
दिल खोलकर हर वक़्त

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26 JUN AT 11:50

केवल एक मात्र
बातचीत या वाणी से ही
कार्य की आधी सफलता
पूर्ण हो जाती है। अतः
विनम्र, मधुर, सरल और सहज
समझाने वाली बात या वाणी
बोलिए।

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26 MAY 2024 AT 10:23

महकती जिंदगी की, ये बहुत बड़ी बुराई
लालच जिसे भी लगा, बड़ी कीमत चुकाई
स्वार्थ, लालसा और लालच, सब है भाई भाई
जिसने भी अपनाया, गिरने में लगती नहीं बुराई

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25 MAY 2024 AT 15:19

समझ लीजिए
अस्तित्व, धोखे का
होता वहीं
जहाँ होता, विश्वास
यदि नहीं होगा विश्वास
धोखा उत्पन्न होगा नहीं
ये समझ आ जाता
धोखा खाने के बाद
विश्वास क्यूँ किया
इतने विश्वास के साथ

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24 MAY 2024 AT 9:53

ऊनाळो
बळ बळ बळती बाजे लू
कळ कळ कळके पाणी
तड़ तड़ तड़के तावड़ो
मिनखां रौ डील बळ उठ्यो
हे सूरज भगवान करो मेहर
तपो तपो पण यू मत तपो
राखो टाबरां पर थोड़ी मेहर

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23 MAY 2024 AT 9:15

संसार दुखा रौ सागर
इंछा दुखा रौ कारण
ईण रौ निवारण व्है सके
इंछा मत राखो मन मे
करुणा अर परेम
मिनखां राखो हिरदै

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17 MAY 2024 AT 21:19

ये दुनिया और दुनियावी रिश्ते
कहाँ से कौन आया, कौन मिला
जन्म जन्म से जो मिलते रहे
वो रिश्ते कितने खूबसूरत हुए
तुम बिन जग ये सुना
रिश्ते और पूरी दुनिया
तुम बिन बस, सब कुछ सूना

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4 MAY 2024 AT 9:03

हताशा हर लेती साहस
निराशा बस जाती मन आंगन
हृदय में लौ जगे जो आशा की
कोई कार्य नहीं असम्भव
दामन थामे जो आशा का
वो हार कभी नहीं सकता

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29 APR 2024 AT 21:36

रंगत इस जहां की बड़ी खूबसूरत
हर रंग बना इसका सिर्फ मुहब्बत
चहक महक सब ओर है प्यार प्यार
जो न हो प्यार अगर, सूना ये संसार

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29 APR 2024 AT 21:29

मोहब्बत के ये अज़ब से रास्ते
दूर होने को चले जो एक दूजे से
ख़यालो, ख्वाबों में मिलते रहे
जा रहे थे दूर बस एक दूसरे से
पर कमबख्त ये मोहब्बत के रास्ते
चले थे जहाँ से, वहीं आकर मिल गए

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