Prabhakar Kumar   (Prabhakar Kumar)
268 Followers · 278 Following

Every one is fond of love and care
Joined 12 July 2019


Every one is fond of love and care
Joined 12 July 2019
30 MAY 2024 AT 13:29

रचनावाद के अनुसार -
शिक्षक ज्ञान के स्रोत के रूप में नहीं
बल्कि ज्ञान प्राप्ति के सहयोगी की भूमिका अदा करता है।

-


15 JUL 2023 AT 22:49

बहुत कुछ मिला,
जो उपर वाले की हसरत रही।
तू जो ना मिला,
वो चाहत मेरी अधूरी रही

-


18 FEB 2023 AT 21:43

तुम्हारे यादों के पन्नों में, जो इंतज़ार है
विरह की अग्नि में, वो काँटों सा उपहार है

-


2 JAN 2023 AT 7:55

विफलताओं में भी छिपी, सफलताओं का दौर है।
पहुँचेंगे मंजिल वो भी, उनकी बात कुछ और है......

-


11 NOV 2022 AT 23:34

गुरु जो अतीत हो,
सफलता कैसे ना प्रतीत हो।

-


19 AUG 2022 AT 12:41

Dharma never becomes many. It is always one. There is no variety of it. Views may be many- even as many as there are people. In my opinion, to speak of Hindu Dharma, Christian Dharma, Mohammedan Dharma, Buddhist Dharma etc. is wrong; rather they are so many views".
🙏Sree Sree Thakur Anukulchandra🙏

-


14 JUL 2022 AT 8:04

हम सभी का मूल धर्म शान्ति है।
अत: हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि
धर्म भी शरीर के हैं।
और एक जन्म तक है।
शरीर बदलने पर शरीर का धर्म भी बदल जाता है।

-


21 JUN 2022 AT 22:30

वो बैठे रहते हैं रास्तो मे हाँथों को फैलाए हुए
मैं गुज़रता हूँ उन रास्तो से अपनी नजरे चुराए हुए
अपनी ही जिंदगी को जिए जा रहा हूँ,
कुछ भी तो नहीं मैं उनके लिए किए जा रहा हूँ

-


24 MAY 2022 AT 9:11

हूँ मै नश्वर
नहीं ढूँढता मैं ईश्वर
दिल में समाई फकीरी
दुनिया अब पड़ गई फीकी

-


10 MAY 2022 AT 22:47

डूबती हुई आशा,
चुभती हुई निराशा।
व्यर्थ हो चुके हैं तरकश मे पड़े तीर,
आँखों में आ चुके हैं बेबस से पड़े नीर।

-


Fetching Prabhakar Kumar Quotes