Prabhakar Dwivedi  
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"सब मोह माया है अपुन सिर्फ लिखने आया है"
Joined 19 February 2019


"सब मोह माया है अपुन सिर्फ लिखने आया है"
Joined 19 February 2019
7 JUL 2024 AT 0:59

It doesn't matter how hard you have tried in your relationship....
It's always the things which you have not tried matters...

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10 SEP 2023 AT 22:59

सच्चे इश्क़ में पड़ा आशिक़,
समन्दर नहीं देखता गहराई नहीं देखता।

डूब जाता है माशूक के प्यार में वो इस कदर,
रूसवाई नहीं देखता वो तन्हाई नहीं देखता।

महबूब की आँखें जो दिखादे, देख लेता है,
अच्छाई नहीं देखता वो बुराई नहीं देखता।

खुद को जोड़ लेता है अपने सनम से इस कदर वो,
के जुदा होकर भी उस से वो जुदाई नहीं देखता।।

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23 JUL 2020 AT 14:32

बहार में,
बहार का रंग,
बहार से देखा ना गया!

बहार,
बहार से जलने लगी,
और पतझड़ आ गया!!

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5 JUL 2020 AT 22:27

जैसा चाहो वैसा आकार दे दो,
बस मुझे थोड़ा सा प्यार दे दो!!

अनाथ हूँ सब कहते हैं मुझसे,
तुम घर देकर,सारा संसार दे दो!!

बेटा बेटी जो कहोगे बन जाऊंगा,
तुम बस माँ बाप का दुलार दे दो!!

बड़ी बेचैनी से गुजरता है हर लमहा यहाँ,
सर पे हाथ रखदो,चैन-ओ-करार दे दो!!

बदनाम नहीं होगा तुम्हारा नाम मेरे नाम से,
बस मुझे अपने नाम का उपहार दे दो!!

तन्हां था तन्हां हूँ पर तन्हां जीना नहीं चाहता,
अपना लो मुझे,रिश्तों का त्यौहार दे दो!!

इस से पहले की दुःखों को मुकद्दर मान लूँ अपना,
थाम लो हाथ मेरा,खुशियां हज़ार दे दो!!

आज इंकार मत करना मुझे ले जाने से,
विनती है मेरी,मुझे अपना इज़हार दे दो!!

"ले चलो साथ अपने,मुझे भी एक परिवार दे दो"

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30 JUN 2020 AT 0:15

करेले सी कड़वी ज़िंदगी में घोलती मिठास है,
खाने में छप्पन भोग सी "तेरी आवाज़" है......

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24 JUN 2020 AT 15:20

दर्द लिखता हूँ तो मरहम पढ़ते हो,
और दावा है तुम्हारा हर ज़ख़म पढ़ते हो!!

नादाँ हो तुम क्या ग़िला तुमसे,
मैं तो इश्क़ लिखता हूँ तुम धरम पढ़ते हो!!

कहते हो इश्क़ वाज़िब नहीं मेरा खैर,
बड़े कमाल का वहम पढ़ते हो!!

मेरा दिल लगाना कोई मज़हबी सौदा नहीं,
"ये इश्क़ है ज़नाब" फिर तुम क्यों इसे अहम् पढ़ते हो!!!

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21 JUN 2020 AT 16:25

साल का कोई एक दिन कैसे आपक़े नाम लिख दूँ,
ऐसे कैसे बाकी दिनों में आपको ग़ुमनाम लिखदूँ!!

"पापा" आप जान हो पहचान हो मेरी,
चाहता हूँ आपको अपनी उम्र तमाम लिख दूँ!!

नहीं देखी किसी खुदा की सूरत,
जब भी देखा आपको देखा,
तो क्यों ना आप ही का नाम भगवान लिखदूँ!!

पापा आप मेरा ग़ुमान हो,
अभिमान हो,
आप नहीं मानते पर सच में आप महान हो,

मैं कल रहूँ ना रहूँ नहीं पता मुझे,
तो सोचा आज ही ये पैग़ाम लिख दूँ!!!!

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29 JUL 2021 AT 15:06

हो तेरे शहर में चर्चा,बस मेरी दिल्लगी का
मुझे अपनी आशिक़ी का वो मुक़ाम चाहिए
क़ब्र मेरी हो..........और नाम तेरा लिखा हो
बस मेरी मोहब्बत का मुझे यही अंजाम चाहिए!!

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28 JUL 2021 AT 0:54

Road-trip.......

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7 JUL 2021 AT 0:47

हर रोज़ तुम्हें पाता हूँ, तुम्हें खोता हूँ मैं
मिलता हूँ तुमसे और जुदा होता हूँ मैं।

ये कैसी चुभन है जो सीने से जाती नहीं
मारे दर्द के अंदर से ख़ुद को भिगोता हूँ मैं।

अब होश नहीं रहता तुम्हारे जाने के बाद
कब नींद से जगता हूँ और कब सोता हूँ मैं।

धक् से होता है ये दिल तुम्हारे जिक्र भर से ही
क्यूँ अब भी अपना नाम तुम संग ही पिरोता हूँ मैं।

ये सच है की तुम्हारा आना मुमकिन नहीं है अब
तब भी रोज़ तुमसे मिलने के ख़्वाब संजोता हूँ मैं।

ये मोहब्बत है इक रोज़ तुमने ही कहा था मुझसे
तो कैसे अब तुम्हारी नफ़रत के काबिल भी नहीं होता हूँ मैं।।

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