Prabha Kumari   (प्रभा कुमारी)
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Joined 23 January 2018


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Joined 23 January 2018
22 JUL 2023 AT 0:26

क्या कहूं, आज उन जल्लादों को,
आज शब्द फिर मौन है, पड़ा।।
जननी से जन्मे, इंसानियत नहीं,
वह मात्र है, एक भीड़ खड़ा।।

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8 JUL 2023 AT 9:13

है, ताकत तो बढ़ना सिखों।।
अपने अस्तित्व के लिए लड़ना सिखों।।

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18 APR 2023 AT 7:36

जब चला था तू अकेला
तब कोई तुम्हारे साथ ना था।।
दिखने में साफ सीधा दिखा
पर चलने में था, कांटों से भरा।।
मंजिल रस्ता देख रही तेरा
बिन थके,बिन झुकें,फतेह झंडा तूं लहराएगा।।

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18 MAR 2023 AT 7:10

अंहकार होता है तब ज्ञान नहीं होता।।
और
जब ज्ञान होता है, तब अंहकार नहीं होता।।

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8 MAR 2023 AT 4:32

होली के रंगों की तरह आप और आपके
परिवार में खुशियां सदैव रंग बिरंगी रहें।।

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8 MAR 2023 AT 4:29

होली के रंगों की तरह,
आपका और आपके परिवार में
खुशियां सदैव रंग बिरंगी रहें।

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11 FEB 2023 AT 20:54

बहुत पतली रेखा है विश्वास
एक बार टूट जाय तो बिना
गांठ के जुड़ती नहीं।।

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23 DEC 2022 AT 0:45

कुछ गलतियां
ज़िन्दगी को सबक दे जाती है

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18 NOV 2022 AT 15:05

जहां कद्र नहीं।
वहां किरदार की कोई आवश्यकता नहीं।।

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9 AUG 2022 AT 6:13

सम्मान दो या ना दो पर
अपमान सोच-समझ करना चाहिए।।

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