स्त्री
ओ स्त्री अधूरा है सब कुछ तुम्हारे बिना.
कान के छुमके लाल सिंदूर।
माथे की बिंदिया चाँद सा नूर।
राधा का प्रेम मीरा का त्याग।
सीता की गरिमा सती की आग।
ओ स्त्री....
आंगन की रौनक बगीचे का फूल।
सर्दी की हवा गर्मी की धूल।
ढ़ेरों पकवान चाय का स्वाद।
पूजा की थाली मंदिर की मुराद।
ओ स्त्री....
करवाचौत का चाँद चाँद की चांदनी।
दिए कि लौ लौ की रोशनी।
माँ का नेह बहिन का दुलार।
बेटी की हठ पत्नी का प्यार।
सब कुछ अधूरा है तुम्हारे बिना
ओ स्त्री सब कुछ अधूरा है तुम्हारे बिना।- pranjal
8 MAR 2019 AT 15:19