गुजरा जमाना फिर सामने आ गया,
जिन्हे भूलने कि थी ख्वाहिश...
ख्याल उनका फिर सता गया..!
हमने तो वक्त के साथ अब
आगे बढ़ा लिए थे अपने कदमों को "अमन"
उनका यू देख के मुस्कुराना..
सख़्त लौंडे को फिर पिघला गया। 😉-
जमाने ने इतना सीख दिया
यहाँ कोई किसी का नहीं है,
फिर कुछ भाई मिल गये
तबसे जमाने पे से विश्वास उठ गया।-
"गुस्सैल" बड़ी, 'नटखट' सी 🤯
'उलझी' किसी "पहेली" सी हो तुम 🙈
दुनिया से "छुपा" के रख लूँ पास 'अपने' 🤗
वैसी '"अनमोल'" सहेली सी हो तुम। ❣️-
सपनो में माँगा करते थे दुआ
हकीकत और भी खूबसूरत मिला
जब से है देखा आपको
अक्सर यही पूछता हु खुदसे
कहीं मुझे भी तो इश्क़ हुआ ? 😁-
तेरी कहीं हर एक बात का कायल हु मै 🙈
कैसे कहुँ तेरी उन तीखी नजरोंं से घायल हु मै
🥺
👉👈-
"दुनिया" चाहे लाख 'बुरा' कह ले उसको
मेरे लिए तो वोही एक "अपना" है 🤗
जिसे हर रोज़ पूरा करने की 'दुआ' करुँ
वो मेरे लिए एक बहुत प्यारा सा "सपना" है। 🙈-
कब खून खोलेगा रे तेरा गोदी ?
गंगा में लाश मिले
तुम चुप थे
लोग सड़को पे मरते रहे
तुम चुप थे
पाट्री पे प्रवासी कट गये
तुम चुप थे
सवास्थ् व्यव्स्था थप थी
तुम चुप थे
पेट्रोल 107 हुआ
तुम चुप थे
दाल सपने में आने लगी
तुम चुप थे
किसान को ख़ालिस्तानी बोला
तुम चुप थे
कल नजरे तो मिला लोगे न?-
Religion applies only to human beings and not to the entire cosmos; there is no religion of electrons, monkeys, plants and galaxies, whereas all of them have their "Dharma" even if they carry it out without intention.
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दो न्याय उन्हें जो नहीं रहे,
व्यथा उनकी भला अब कौन कहे ?
कोर्ट वो अब आयंगे नहीं
न्याय उन्हें अब कैसे मिले ?
जब आकड़ो में भी वो नहीं रहे।
गंगा साफ करंगे बोला था,
नहीं पता था अपनो की लाशों की बलि होगी
सफाई का तो पता नहीं,
इतनी तो गंगा कभी नहीं मैली होगी ।😞
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