Pourush Pandit   (कुमार)
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Joined 10 October 2018


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Joined 10 October 2018
9 MAR 2022 AT 22:47

काश के तुझे ये वहम न होता,
हम तेरे ना होते तो हमारा क्या होता,
काश के तुझे ये पता होता,
के तुम ना होते तो हमारा क्या होता।

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25 JAN 2022 AT 12:59

कुछ इस तरह आपकी आंखें ने हमें देखा है
आसमां झूम उठा और मेघ बरस पड़ा है

कुछ इस तरह आपके अल्फाज़ो ने मुझे घेरा है
सवेरा हो चुका है या मेरा मन कहीं खो चुका है

कुछ इस तरह आपके साये ने हमें घेरा है
परछाई बेशक हमारी है पर नाम तुम्हारा है

कुछ इस तरह वो शख्स बताते हैं घुमता है
हां वो शख्स मुझे नादान समझता है

कुछ इस तरह तेरी यादों से रिश्ता जोड़ा है
मैं तुझमें हूं और कुमार तेरा मीत यहां है

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5 AUG 2021 AT 0:58

बेकीमत सुकून मौत में है ’कुमार’
जिंदगी झूठे वादों के सिवा कुछ नहीं।

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14 APR 2021 AT 12:29

हसता रहता हूं मैं बहुत
सुना है खामोशी घर गई।

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22 MAR 2021 AT 0:56

इस रात अजीब सी बेचैनी उठी है जहन में
क्या उसने किसी गैर को गले लगाया है

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17 MAR 2021 AT 11:48

जिन्दगी बस एक तरह का सफर है
कहीं कहीं कांटे तो कहीं फूल हैं
कहीं गम है तो क्या खुशी भी तो बाकी है
सफर में हर शख्स अपनी पहचान का मुसाफिर है
जो छूटा सफर में वो यादों में है
जो साथ चला अब तक वो सांसों में है
किसी की मुस्कुराहट आज भी दिल बहलाती है
किसी की याद आए तो नफरत घर बनाती है
कुछ लम्हे गुजर गए कुछ गुजरने बाकी है
सफर है तब तक जब तक ये सांस बाकी है
चलिए ना भी अभी सफर की शराब बाकी है
कुछ सुलझ गए कुछ अधूरे काम बाकी है

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16 MAR 2021 AT 11:43

इस भीड़ भरी दुनिया में सुकूत नही है मुझे 'कुमार'
एक शख्स की यादों ने दहशत मचा रखी है।

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12 MAR 2021 AT 19:11

जिस रोज मेरे बाग में तेरा इत्र न महका
समझिए उस रोज गुल किसी और ने उड़ाया है

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4 MAR 2021 AT 0:24

बहुत कोशिशों के बाद भी ना टूटा में
खुदा किस कदर पत्थर बन गया हूं मैं

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27 FEB 2021 AT 14:57

बस इस तन्हा शहर का सफर और
एक कप चाय जिंदगी के लिए काफी है

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