Poshan Patel   (Poshan Patel)
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Joined 31 August 2020


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7 MAY AT 13:16

लग के गले दिल मिलाया है दिल से ।

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25 APR AT 14:58

ऐसी दुनिया जिसने कामों को इतना आसान बना दिया कि लोग काम के लिए तरसने लगे है।
जो काम 10 लोगों द्वारा एक दिन में होता था आज वो एक काम एक मशीन द्वारा 1 ही व्यक्ति कर रहा है।

काम सुगम हुए, प्रतियोगी हुआ जमाना
कला सबने सिखा, पर कुछ को मिला खजाना।
वास्तविक और भ्रामक भी,उपयोगी संग अनुपयोगी।
पाप पुण्य सा हो गया है, डिजिटल ये जमाना।

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25 APR AT 14:49

तुम मेरे दिल की मल्लिका, तुम ही मेरी कहानी हो।
तुम मेरे जीवन की बगिया, तुम ही मेरी रानी हो।

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25 APR AT 12:17

धूप में जाओ तो छांव में आना पड़ता है।
गर्मी की तपिश से खुद को बचाना पड़ता है।
कब सुधरेगा इंसान जग के,
पेड़ काटने से ज्यादा ,पेड़ लगाना पड़ता हैं।

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23 APR AT 9:11

वक्त ही अपने पराए में भेद बताती है।
अपना कहने से कोई अपना नहीं होता।

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22 APR AT 11:11

खुद को मत कम आंकिए, जरा गौर से खुद में झांकिये।
क्या हुनर क्या ऐब है आपमें, आईने से नहीं अपने आप में मापिये।
दुनिया रंग बिरंगी है, हर रंग हर साज है।
कही उलझी धागों से रिश्ते, कही सुलझे हर काज है।
कोई सब कुछ पाकर खुश नहीं, कोई कुछ में ही खुश है।
दिखावा और पहनावा देखते यहाँ, दिल के रिश्ते सा पाक न खुद है।

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22 APR AT 11:03

सिलसिले फसाने बन गए,वो पल अब जमाने बन गए।
कई आए और चले गए, ताउम्र दिल के तुम ठिकाने बन गए।
जज्बातों का सिलसिला जुबां से रुकसत जब हुआ।
हम तुम्हारे, तुम हमारे बन गए।

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22 APR AT 4:10

अपनों से बड़ा गैर कोई दूजा नहीं होता।
अपने कहकर अक्सर अपने ही गैर बनते हैं।

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21 APR AT 15:57

खामोशी की आवाज कहाँ उसे सुनाई देती है।
जिसे देना चाहा था हमने इज्जत का ताज।
दिल की आरजू दिल में दबी रह गई
उसने चुना उसको जो था उसके खिलाफ।
उसको समझाने की कोशिश तो की पर वो इतनी मगरुर थी।
उसने मर जाना चाहा उसके न चाहने के बाद।
लब्जो से शिकायत तो करता पर,
उसे सुनाई कहाँ देता था।
वो तो जानती थी बस इतना, कि मैं हूँ बस उसके पास।
प्यार जताना चाहा उसको, वो अपना किस्सा सुनाती थीं।
दिल की मेरी बातों को, बातों - बातों में उड़ाती थी।
वो इश्क था और सुरूर भी मेरा,
पर न जाना उसने जो प्यार में खुद को आजमाती थी।

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21 APR AT 13:02

लहराती पवन की भांति मुक्त पतंग सा ख्वाब था।
बादलों की ऊंची उड़ान भर कर जमीन से जुड़ने का भी भाव था।
कुछ कीट पतंगे पंछी ने ,राह में रोड़े कई डाले
विश्वास की डोर से छूटा हुआ अनगिनत मोड आए।
किसी ने झिंझोड़ दिया, किसी ने समझाया भी
किसी ने हाथ थामा, किसी ने ठुकराया भी।
इस उड़ान में सिखा मैने, खुद को खुद से संभालना
परिस्थितियां जैसी भी आए , खुद को उसमें ढालना।

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