Poorva Shrivastava  
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Joined 9 June 2018


Joined 9 June 2018
3 SEP 2019 AT 0:26

ये ज़रूरी नहीं की आप हर बार एक चमकता सितारा हो,
कई बार एक मजबूत कंधा होना भी जरूरी होता है

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4 MAR 2019 AT 0:21

मुझे अच्छा नहीं लगता, मेरे बारे में तेरा सब कुछ जानना
मेरे हसते हुए चेहरे में छुपे, मेरे दर्द को पहचानना

मेरी खिलखिलाती हुई आवाज़ से मेरी परेशानियां थामना
मुझे अच्छा नहीं लगता, मेरे बारे में तेरा सब कुछ जानना


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25 FEB 2019 AT 2:16

अंत ही आरंभ है
अंत ही आरंभ है, ये भावना का कुंभ है।
जो रह गया सो रह गया, जो खो गया वह भूल जा।।

प्रेम में है लत कोई, विरोधियों का झुंड है।
जो दिख रहा सच नहीं, चक्षुओं की धूल है।।

तू थम नहीं तू डर नहीं, ये रास्ता प्रचंड है।
तू बंजरो में खिल उठे, उस बागबां का फूल है।।

निश्चित है तेरी जीत भी, जब हौसला अखंड है
जो चुभ रहा है नेत्रों में, वो उन्नति का शूल है

जब जहां तू डूबा था, वो ज्ञान का ही कुंड है
सूत की फिकर है क्या, जो मोल है वो मूल है
अंत ही आरंभ है

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1 FEB 2019 AT 1:25

ख़ैरात में नहीं मिलती इज्जत, इसे कमाना पड़ता है

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31 JAN 2019 AT 1:36

है मुझमें भी मोहब्बत में फना हो जाने का अल,
अलीम तो तुम भी हो बहुत, मुझे ख्वार होने न दो

ये बेबसी, ये तड़प, ये खलिश, ये मजबूरी मेरी,
अशफ़ाक तुम ही हो मेरी ज़िन्दगी का, इसे खोने न दो

खुत्बा तुम भी बहुत देते थे इश्क़ पर, फिर अब क्यों
दानिस्ता हम भी थे, गिर्दाब में हैं, अब हमें रोने न दो

क्या ये वही दुनिया है, जहां तू मेरी आगोश में है
खूबसूरत सा ख्वाब जागा है अभी, ताबीर होने न दो

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25 JAN 2019 AT 4:13

ये तूने अच्छा किया, अब मुझे कोई उम्मीद नहीं है
तू गुजीदा था, ये मेरा गुनाह था, कोई जीक़ नहीं है
अब मुझे कोई उम्मीद नहीं है

मेरे रुख पर ये इब्तिसाम, अजाब अज़ल है अजब है
गुमगश्ता सी हूं, तलाश रही हूं, कोई अख्ज़ नहीं है
अब मुझे कोई उम्मीद नहीं है

कब तक करती शिकायतें, मिन्नते और इबादत तेरी
मोहब्बत ही तो है, क्या हुआ, कोई जुर्म नहीं है
अब मुझे कोई उम्मीद नहीं है

काश तू होता मेरी आगोश में, खयाल है, ख्वाब है
मुकर्रर हो हर एक दुआ मेरी, ऐसा कोई अत्फ़ नहीं है
अब मुझे कोई उम्मीद नहीं है


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23 JAN 2019 AT 0:03

आज फिर एक कश्मकश में हूं मैं,
वो साथ हैं भी और नहीं भी।

अज़ाब सा लगता है हर लम्हा मुझे,
खलिश तेरी कहीं है भी और नहीं भी।

हो गई हूं फना तेरी मोहब्बत में,
तपिश तेरे इश्क़ की है भी और नहीं भी,

लोग कहते हैं, काफिर हूं मैं
खुदा तू मेरा है भी और नहीं भी,

आज फिर एक कश्मकश में हूं मैं

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22 NOV 2018 AT 23:26

तुम नहीं हो,

ऐसा नहीं कि तुम नहीं होगे तो शब नहीं डूबेगी, सेहर नहीं होगी, बारिश नहीं होगी, फूल नहीं खिलेंगे...

फिर भी लेकिन तुम होते तो अच्छा होता..

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12 OCT 2018 AT 23:08

Somewhere in the process of loving you, I missed myself....

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1 SEP 2018 AT 16:54

सच कहा था तूने बहुत नालायक हूं मैं
मुद्दत से इक शक्स को अपना ना बना सकी...

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