मेरी आम सी दुनिया में
बहुत ख़ास हो तुम
जो बुझाए ना बुझे वो प्यास हो तुम
बसे हो मेरे रोम रोम में,,
जैसे मेरी साँस हो तुम।
धीमे धीमे फ़ना होती ज़िन्दगी की
बस आख़िरी आस हो तुम
हाँ मेरे लिए... बहुत ख़ास हो तुम
ख़ास हो तुम
(( आशापूर्णिमा ))-
तो हुआ है कुछ ऎसा कि
बदल गयी हूँ मैं
अब उन छोटी छोटी बातों पर
अटकती नही हूँ मैं
मुस्कुरा के करती हूँ तुम्हें याद,
पर अब तुम्हारे लिए बिलखती नही हूँ मैं।
-
वो कल भी अच्छा था
ये पल भी अच्छा है
जब आंखें मुन्दु तो,
सब लगता सच्चा है
माना है लापरवाह,और थोड़ा बेपरवाह
ये दिल तो बच्चा था और आज भी बच्चा है।
-
कुछ लम्हें हैं बहार के
कुछ किस्से हैं प्यार के
झिलमिलाती रौशनी में
चर्चे हैं ख़ुमार के
-
समाज ऐसा है
हम तुम जैसा है
क़िरदार अनेक हैं
ज़ज़्बात एक हैं
बदले बदले से ही सही पर,
अलफ़ाज़ नेक हैं-
जो प्रेम कहानियाँ किताबों में नही मिलतीं
वो क़िरदारों में मिलती हैं ।-
एक बार ही बहकती है नज़रे,,,
इश्क़ बार - बार नही होता ....
मैं लब हूँ... मेरी बात तुम हो,
मैं तब हूँ..... जब मेरे साथ तुम हो....
-
कुछ लम्हें भीगी यादों के
कुछ बहकी बहकी बातों के
कुछ पल तो बैठें पास मेरे,
जो उलझे हैं मोह के धागों से.
-
चाय की तलब
गुलाबी सर्दी
और
तन्हा शाम
उसका यूँ आना
महका जाना
मुझे
सरेआम-
कुछ व्यायाम ऐसे भी.....
जीभ के लिए :- बोलने से पहले जीभ के स्थान पर
दिल का प्रयोग हो तो बेहतर है।
पैरों के लिए :- अपने कदम बढ़ाएं ज्ञान और विवेक
की ओर।
आँखों के लिए :- दूसरों में भी प्रवीणता देखें।
दिल के लिए :- दिल मे सृजनात्मक भावनायें रखें।
कानों के लिए :- सुनना सीख लें।
दिमाग के लिए :- अच्छी पुस्तकें पढ़े।
चेहरे के लिए :- जितना हो सके मुस्कुराएँ।
-