"रूठूँगा तुझसे तो इस क़दर रूठूँगा
तेरी आँखे तरस जाएगी मेरी एक झलक को !!"-
न कसूर इन लहरों का था
न कसूर उन तूफानों था
हम बैठ ही लिये थे उस कश्ती में
नसीब में जिसके डूबना था-
मुझको तनहा देख कर उसने मुझसे वादा किया,
मेरे होते हुए कोई दुख ना देगा तुम्हें,
बाद में फिर जो कहा वो सच हो गया,
सभी दुखो को देने वाले आखिर में वहीं हुए।-
जहां लगे कि हमारी वजह से दूसरों को तकलीफ हो रही है वहां से हट जाना ही बेहतर होता है
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हमने उनसे प्यार किया, ये मेरे प्यार की हद थी, हमने उन पर एतवार किया, ये मेरे एतवार की हद थी, मर कर भी खुली रही मेरी आँखे, ये मेरे इंतज़ार की हद थी।
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कभी सोंचतें थे की आपके साथ अपनी ज़िन्दगी बिताएंगे, आप के साथ रह कर हम भी मुस्कुराएंगे, कभी सोंचतें थे मोहब्बत अपनी चाँद के पार ले जाएंगे, लेकिन कभी ये नही सोचा था की आप हमे इस तरह रुलायेंगे।
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तेरी ख़ुशी को अपनी पलको में सजायेंगे, मर कर भी सारी रस्मे निभाएंगे, देने को तो कुछ नही है मेरे पास, लेकिन तेरी ख़ुशी के लिए खुदा के पास तक चले जायेंगे।
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हो सकता है हमने आपका अनजाने में कभी दिल दुःखा दिया, लेकिन तूने हमे दुनिया के कहने पर भुला दिया, हम तो इस दुनिया में वैसे भी अकेले ही थे, तो क्या हुआ तूने हमे ये एहसास दिला दिया।
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मेरी खामोशियों में भी फ़साना ढूँढ़ लेती है, बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूँढ़ लेती है, हकीकत ज़िद किये बैठी है चकनाचूर करने को, लेकिन ये आँख फिर सपना सुहाना ढूँढ़ लेती है।
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उस शख्स को मेरा एहसास तो है,
बेदर्द ही सही वो मेरा हमराज़ तो है,
आएगा एक दिन मेरे पास वापस,
झूठी ही सही एक आस तो है! ?-