था मेरी यादों में नक़्शा चाँद का
आँखों से फिर चाँदनी बहने लगी
-पूनम सोनछात्रा-
Orator by heart
Poet by passion
"तुम मेरी समूची दुनिया हो.."
कभी यह कहने वाले की दुनिया में
आज मैं अपनी उपस्थिति के चिह्न
तलाश रही हूँ...
-पूनम सोनछात्रा-
प्रेम,
सम्मान,
आत्मनिर्भरता
और ज्ञान
ये सभी वास्तविक रास्ते थे
जिनकी आभासी मंज़िल थी
'सुकून'
-पूनम सोनछात्रा-
जिसे फ़ुर्सत नहीं ख़ुद के ग़मों से
मैं अपने दुःख उसे कैसे बताती
-पूनम सोनछात्रा-
गालियों पर पितृसत्ता का एकाधिकार
घोषित किया जाना चाहिए
भाषा अपनी उच्चतम
या यूँ कहिये कि निकृष्टतम अवस्था में भी
"वेश्या" शब्द का पुल्लिंग नहीं दे पाई है
-पूनम सोनछात्रा
#तुम्हारे_लिए-
मैंने कहा था, "बिना तवक़्क़ो इश्क़ है तुम से"
वो ये बोला, "यार... तू कितनी फ़िल्मी है..!"
-पूनम सोनछात्रा-
ख़्वाहिशों ने तोड़ दी हैं चूड़ियाँ
यार, अब बचपन के वो मौसम नहीं..
-पूनम सोनछात्रा-
उसकी इज़्ज़त ही ताक पर रख दी
आप तो इश्क़-इश्क़ करते थे
-पूनम सोनछात्रा-
हमारी ज़ात में आवारगी शामिल हुई है यूँ
कि पंछी पूछते हैं अब,
"कभी तुम घर बनाओगे?"
- पूनम सोनछात्रा-
ख़ुद से नज़रें नहीं मिला पाये
छोड़ जाने की वज्ह यह थी क्या..
-पूनम सोनछात्रा-