विद्या से बड़ा कोई वरदान नहीं
ज्ञान के प्रकाश का उपहार दो माँ
अज्ञानता मिटा सके कलम की तेज धार कर
नित्य शब्द सुमन चढ़ाऊँ माँ करूँ तुम्हारा जाप
कमललोचने विद्यारूपे है नमन माँ शारदे
बस इतना सा ज्ञान दो माँ करूँ तुम्हारा जाप
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5th Feb 🎂
UPSC Aspirant
तेज तपन में तपकर कृषक विराट होता है।
जग का पेट भरने को अन्न बीज बोता है।।
चाहे हो बारिश या हो सूर्य की तेज किरणें
कर संघर्ष दो वक्त की रोटी देते हैं हमें
भूमिपुत्रों में न होता अपना और पराया
एकजुट होकर सदा साथ है निभाया
कृषि आंदोलन में दिन-रात न सोता है।
जग का पेट भरने को अन्न बीज बोता है।।-
फ़कत मुझे ही नहीं तुम्हें भी इश्क़ है मुझसे
क्या है दिलों के दरमियाँ, जरा पूछो खुद से
अनायास ही नहीं जुड़ गया हमारा ये राब्ता
रब ने किया मुकम्मल तुम्हें मुझसे मुझे तुमसे-
प्रकृति सृजन करती है
नदी,पहाड़,झील और
"सम्पूर्ण जैवमंडल"
जिसमें होते रंग हजार।
इंद्रधनुष प्रकृति की इक
अनुपम कृति, जिसे देख
अशांत और बेरंग मन भी
प्रफ्फुलित होकर
सुकून भरे पलों में खो जाता।
स्त्री सृजन करती है
"संसार"।
अपने त्याग, समर्पण और
धैर्य से रचती है "नया जीवन"
जिसको हर क्षण अपनी
ममता और संस्कारों से
सींचती है।
आख़िरकार,
स्त्री और प्रकृति दोनों ही
एक-दूसरे के समतुल्य हैं।
दोनों के हृदय में बसता है
"धैर्य और प्रेम"।
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धूप की कली खिली सुबह की आगाज करने दो
मुझे मेरे हौसलों की उड़ान की नवाज़ करने दो
माना कि बेहद मुश्किलों का सफ़र है ये पर
मुझे मेरी ऊँची उड़ान की आवाज़ करने दो
कदम-कदम आगे बढ़ने दो , मत रोको मुझे
मुझे मेरे लक्ष्य को पाने का नियाज़ करने दो
घोर कठिनाइयों से भरा लक्ष्य का पिटारा है
मुझे मेरे शाश्वत शब्दों से एजाज़ करने दो
पीछे मुड़कर कभी मत देखना तुम "पूनम"
दुनिया है ये, लोगों को ऐतराज करने दो
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नीलकण्ठाय , नागेन्द्राय, त्रिलोचनाय
शाश्वत,संयम महादेव ॐ नमः शिवाय
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मैं हँसता हूँ वो वजह पूछ लेती है
हिंदी सी सरल है मगर गणित सा
कठिन सवाल कर लेती है।
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किस बात का है गुरुर तुझे,आखिर तू भी तो मालिक का बन्दा है।
मालिक अपने द्वारा बनाए गए हर एक बन्दे को ज़हीन बनाता है।।-
जात पात में भेद न करो, वतन सबका एक है।
ख़ुदा-ए-मुर्शिद ने दिया लहू रंग सबका एक है।।-
जो कभी इश्क़-ए-इबादत नहीं समझता
वो किसी से भी मुहब्बत नहीं कर सकता
इश्क़-ए-इबादत में है वो समर्पण भाव
जिसमें सुख़न-वर गढ़ते हैं इश्क़-ए-कविता-