Poonam Rathore   (Poonam rathore)
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Joined 11 April 2021


Joined 11 April 2021
21 JUN AT 14:38


स्वस्थ्य मन और स्वस्थ तन
मानसिक चेतना का है प्रतिरूप
योग से होता जीवन उत्कर्ष
चाहे प्रतिकूल परिस्थितियों की हो धूप
करो नियमित योग साधना
जीवन का हो ओज मय संचार
समय निकालो कुछ स्वचेतना को
ये ही है स्व से जुड़ने जा जीवन सार
@_poonam.writes

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17 MAY AT 19:09

मुद्दत हुई थी मुस्कुराए हुए
ख्वाबों में आज खुल के मुस्कुराए

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2 MAR AT 20:56


 विषम परिस्थितियां आती ही इसीलिए हैं
कि तुम्हारे अंदर की
आत्मशक्ति कितनी प्रखर है
दृढ़ निश्चय का पथ बनाकर 
निराशाओं को दरकिनार कर
आत्मविश्वास की मशाल ले
कदम को बढ़ाता चल
मत घबरा आज की असफलता से
लिख दे हिस्से में कामयाबी
मंजिल मिलेगी जरूर जिंदगी के दे रुख बदल
@_poonam.writes

पूनम राठौर 






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2 MAR AT 19:52

भुलाए नहीं भूलते भावुकता के वो भाव
भींग के भीनी भीनी भावभंगिमा में
भीतर भीतर भ्रमित करते गए
भोली भाली भाषा का भान जब तक हुआ
भावपूर्ण भाव सब द्रवित हो गए

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2 MAR AT 19:36



शामिल नही था कोई मेरी तन्हाइयों में
जज्बातों में कहीं कोई शोर जरूर था
मेरी सादगी तुझे समझ न सकी
तेरी चाहत का सिलसिला मगरूर था
पर किस्सा मेरी बंदगी का था
और शायद
इशारा जिंदगी का था

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2 MAR AT 19:29


क्या बताएं इस दिल की दास्तां
इबाबत की इसे आदत क्या लगी
टूट के बिखरने को ये मजबूर हो गया

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19 FEB AT 21:58

ह्रदय विदीर्ण शुष्क सी रेत
बना आज मानवता का खेल
करुणा का हो रहा उपहास
जीवन निर्वाह असत्य के आस पास
निरंकुश विचारों में है अस्थिरता
चिंतन मनन से विलुप्त गंभीरता
एक अभेद लक्ष्य जिसका नहीं कोई वजूद
मृगमरिचका सा जिसका रूप
है दौड़ता जा रहा लिए मन में संताप
बिखरता हुआ खुद से लड़ता हुआ दिन रात
सूने नयनों में अभिमान की भाषा
थके से कदम पूंछते क्या है तुम्हारी आशा
ठहर जरा ओ मानव किसलिए ये तन पाया
भूल बैठा मानवता क्यों सत्य से भरमाया
बिसार अपनी भूल को तू श्रेष्ठता का चयन कर
विवेकशील है तू
मूल सिद्धांतों का अनुसरण कर
मत अंधी दौड़ में शामिल
हो जरा तू हो जा सचेत
ह्रदय विदीर्ण शुष्क सी रेत
बना आज मानवता का खेल
@_poonam.writes
पूनम राठौर


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19 FEB AT 21:35


सादगी गुमराह हो जाती है
सच्चाई कहीं खो जाती है
दिल खुद को गुनहेगार समझने लगता है
पल में गायब हो जाती है खुशी
जब हो जाती है शुरू
दीवारों की कानाफूसी
@_poonam.writes

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19 FEB AT 18:15


डूबते सूरज की लालिमा
संदेश दे के जाती है
उजालों की प्रखरता साथ ले के आऊंगा
स्वर्णिम सपनों की दिव्य माला सजाऊंगा
नवचेतना का फिर आके करूंगा सृजन
पाले रखना दिल में
आशा की किरण
@_poonam.writes

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18 FEB AT 22:04

कुछ खामोश अहसास जो 
रहते है हर शक्श के पास
दिल की गहराइयों में सांस लेते है
जो होते नही बयां
फिर भी जीने की वजह देते है
खुद ही गिरते खुद ही संभलते
फिर खुद ही खुद को समझाके
मुस्कुरा के लोगो को पैगाम देते हैं
होता है हर पल खास
कुछ खामोश अहसास
गुजरते हैं कभी कभी 
जो दिल की उदास गलियों से
पूंछते हैं अपनी मुस्कुराहट का पता
हर फूल हर कलियों से
लबो पे कोई गुजारिश नही होती
अपनी बेबसी की कोई
सिफारिश नही होती
ढूंढते हैं फिर दिल ही दिल
 में कोई सुकून का आशियाना
आ ही जाता है खुद से प्रीत निभाना
फिर शब्दों को नया आयाम देते हैं
कुछ खामोश अहसास दिल की
 गहराइयों में सांस लेते है
@-poonam.writes

पूनम राठौर


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