Poonam Ramoul _✍️   (तरन्नुम_ ✍️)
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Joined 9 December 2020


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30 APR AT 15:02


मीठा-सा दर्द 💕
भाग:- 9

प्यार की आँधी आ रही है...
तुम भी एक बार स्नान कर लो...

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29 APR AT 20:21

"दिल में दर्द के सागर को कितना भी छुपा लें
लफ़्ज़ों की नमी आंखों को समुद्र बना ही देती है"

फुर्सत मिले तो सोचूं तनहाईयों में तुम पास थे क्या
हमी पे लगे इल्जाम हमीं रुसवा हुए आपका क्या

तुम तो दर्द बांटकर ख़ुद सो गए मखमली बिस्तर पर
गम-ए-हिजराँ की बातें ख़ुद सुनते वास्ता आपका क्या

तुम्हें ख़बर नहीं शाय़द अब वो इस पते पर नहीं रहती
दोस्त के हमदर्द से रिश्ता जोड़ आए सुना वाकया क्या

इक और नया ज़ख्म देने से पहले कुछ तो रहम करते
सांसों के दर्द को देखते क़ुरबत नहीं तो फ़ासला क्या

पूनम, देखे मजबूर जितने अपने थे सबके दिल पराये थे
दिल की ख्वाहिशों को किसे दिखाते किसी से गिला क्या

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28 APR AT 22:50

गर तुम पास होते तो कोई शरारत करते
भरकर तुम्हें बाहों में बेपनाह मोहब्बत करते
ख्वाब़ बनकर ही सही आंखों में समा जाते
उतर कर रूह में धड़कनों की आहट सुनते

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26 APR AT 11:15

पूनम की चाँदनी बरसी है अंजुरी भर पी लो
यूँ चाँद के आलोक में गुम चाँदनी संग जी लो

इन झरोखों में से चाँद की महक इतराती हुई आती है
ओ प्रिय! रहो साथ, मेरा अन्तः स्पन्दन तुम भी बह लो.

आह !!! कितनी भोली आत्मा की मोहमयी प्यास है,
इस सुनी ममता से भरे आकाश को बाहों में भर लो.

पूनम शब्द विवश हैं, मैं तुमको तुम मुझको परस्पर पा लें,
अपने में ही सिमटते संभलते इन संदेहों को आज भूला दो.

उठती सिरहन की देह में देख जगी है लालसा मीठी-सी,
उर के भीतर की इस तड़पन को तुम अपने में समेट लो

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22 APR AT 13:18

पूजा करती हूँ, विशेष आत्मा की जो प्रभु हैं, ईश्वर नहीं वो कुछ और हैं , मैं उनकी जीवन संगिनी हूँ मेरी खोज उनका आशीर्वाद चाहिए ,उनसे मुझे असीम सुख, आशायें पूर्ण होती हैं।

उनके प्यार की प्राप्ति, परमानंद है प्रेम, प्यार है वो, उनका प्यार मेरी आत्मा से कभी दूर नहीं, औरत हूँ उद्देश्य प्रसन्नता प्राप्त करना कर्म है ,भीतर उस आनंद को मैं निरंतर पैदा करती हूँ।



जो भी है चिरस्थायी नहीं है, सांसें, खुबसूरती तेरी अनुभूति मुझे अस्न्तुष्ट, नीरस न होने दे तेरे मन के आनंद भंडार को पंसद करती हूँ पर चिंता में हूँ इस आनंद मैं, कहीं गलत तो नहीं हूँ।

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20 APR AT 17:41

ग़ज़ल- ए- यार
मैंने सहरा में रिश्ता - जुस्तजू किया
सागर में किसी को कुआँ-नहीं मिलता

1) रास्ता उसका-घर के पास से गुजरता
दरवाज़ा मेरा हबीब के लिए खुला रहता
वो ग़ैर नहीं मगर अपना भी नहीं लगता
मैंने सहरा में रिश्ता............!

2) वक्त उन्होंने दिया सोचने को तन्हा
दिन लोगों के बीच गुज़ार लेता
मगर रात के सन्नाटों में तारे गिनता
मैंने सहरा में रिश्ता..........!

3) कुएँ-उल्फत गुजारना मुमकिन नहीं हफ्ता
सितमगरों को क्या बताएं रिश्ता
काश: 'रमौल' तेरी जुदाई सह सकता
मैंने सहरा में रिश्ता.........!
_तरन्नुम_✍️

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4 APR AT 10:48

तेरे इक ख़्वाब से बशर अपनी तो आँखों में गुजर गई रात,
पूनम,नींद क्या खुली ख्वाब की ताबीर से मुकर गई रात !!

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2 APR AT 17:42

प्रेम एक प्रज्जवलित द्वीप है
प्रेम फ़ूल की तरह स्वच्छ और सुंदर है...

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1 APR AT 17:46


लफ़्ज़ों के गुलिस्तां में जब हम न रहेंगे
मेरे बाद मेरे मश्गले अल्फाज़ में रहेंगे

लफ़्ज़ों के सीने में भी ज़ख्म गहरे रहेंगे
मेरी हर ग़ज़ल में तुम यूं ही बहते रहेंगे

कशमकश से गुज़र रही जिंदगी इन दिनों
मन करे देख लेना बाद आँसू बहाते रहोगे

वो तो नन्हे बच्चे की तरह दिल के करीब
बाद जाने के तस्वीर सीने से लगाते रहोगे

सफ़र- ए- कामयाबी का नशा क्या खूब
मंजिल की तलाश में शौक़ पालते रहोगे

साहिल पर खड़े होकर तो आवाज़ देते
चुपचाप मसलहत मज़बूरी बताते रहोगे

पूनम बदल जाती थी रंगत पास बैठकर
यूं बाद जाने के सनम जिक्र करते रहोगे
तरन्नुम_✍️

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27 MAR AT 15:10

रोशनी पूनम की
रोशनी पूनम की जहाँ न खिले,
मैं वो काली रात हूँ रे मनवा,
उजली उजली चमक बिखरी,
हमने उनकी गली को छोड़ दिया..!!

प्रीत न अपनी दिखी किसी को,
जिंदगी तो इक बहाना है जनाब,
मुख मोड़ें यहाँ अपने पराये.
मुस्कुराना बगीया के फूलों को है..

प्रीत से बेप्रीत हैं ये अपने गीत,
वो दीया जलाते सूनसान रातों में
प्रियतम से न वो मन की पीर कहे
बरसों बरस बीत गये अंधियारे में..!!

चल रे मन उनकी गलीयों में,
क्यूँ भटकता फिरे इधर उधर,
देख उदास मुझे, आंखें भर आई उसकी,
चल रे मन उनकी गली, तू क्यूँ करे प्रीत पराई..!!
तरन्नुम_✍️

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