प्यार वह एहसास है
जो प्यार करने वाले की खुशी पर मरता है
वह उम्र जो भी हर हिस्से में प्यार जीता है
लोग प्यार को शादी की बंदिशों में बांध देते हैं
और शादी के बाद किसी से प्यार का ना होने को
हम अपने संस्कार मान लेते हैं
किसी और के प्यार को
कोई और मंगलसूत्र में बांध देता है
और करे ना कोई गलती वो
उसे मर्यादा का नाम देता है
प्यार वह एहसास है
प्यार करने वाले की खुशी पर मरता है-
Ek artist musafir bhi
सब कहते हैं मे खुश नहीं
मे कहती हूँ मैं उद... read more
लोग हमें जितना रोकते हैं
हम उतना आगे बढ़ जाते हैं
मिट्टी में रहकर भी हम चांद तारे लाते हैं
कोशिश करते हैं
चाहे पल पल मर जाते हैं
लड़ जाते हैं
ना उम्मीदी के तानों से
फिर उम्मीद ही पाते हैं
पकड़ लेते हैं लोग हमें
फिर मुश्किल से छुड़वाते हैं
रहते हैं अक्सर तन्हा ही
क्यूकि जीतना हम चाहते है
लोग हमें जितना रोकते है
हम उतना आंगे बड़ जाते है
मिट्टी में रहकर भी
हम चांद तारे लाते हैं-
मर जाना पड़ता हैं
अपनी ख्वाहिशों को ही दबाना पड़ता हैं
और हर एक लम्हे के लिए लड़ना पड़ता हैं-
तुम्हारी महज़ मजाक में कहि कुछ बातों को हम
इश्क़ मान बैठे है,
आज कल धड़कती है हमारी धडकने सिर्फ तुम्हारे नाम से हम तो बस तुम्ही को अपनी सुबह शाम जान बैठे हैं।
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पापा को लगता हैं उनकी बेटी का भविष्य
किसी नौकरी करने वाले
लड़के से शादी कर देने से बनेगा।
कैसे समझाऊँ मे उन्हे की उनकी बेटी का भविष्य उसकी अपनी नौकरी से बनेगा।
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किसी से खफा नहीं बस खुद से उदास हूं,
जर्रा जर्रा टूटी हू इतना कि अब तो टुकड़ों में सबके पास हूं।।।-
टूट गया हूं अंदर से फिर भी मैं मुस्कुराता हूं
दो वक्त की रोटी के खातिर मैं हर रोज मेहनत करने जाता हूं
है नहीं कोई अपने मेरे खुद को दर-दर भटका पाता हूं
मिलती है जो रूखी सूखी बस वही खुशी से खाता हूं
टूट गया हूं अंदर से फिर भी मैं मुस्कुराता हूं
आंखों से कुछ धुंधला सा दिखता, सुन मैं कुछ ना पाता हूं लड़खाड़ती है जुबां मेरी ढंग से कुछ ना कह पाता हूं
हर सुबह काम की तलाश में मीलो चलता जाता हूं
टूट गया हूं अंदर से फिर भी मैं मुस्कुराता हूं
कल मिला ना मिला सोच कर आज ही थोड़ा ज्यादा खाता हूं
बे सहारा हूं मैं बचपन से अब तक मैं ना कुछ पाता हूं
रहता हूं मैं जब अकेला तो शमशान चला जाता हूं
दो वक्त का सुकून लेकर मैं वहीं से लौट आता हूं
टूट गया हूं अंदर से फिर भी मैं मुस्कुराता हूं
दर्द क्या है मुझको यह मैं खुद से भी ना कह पाता हूं कल हो ना हो सोचकर हर रोज सुकून से सो जाता हूं
टूट गया हूं अंदर से फिर भी मैं मुस्कुराता हूं-
मुझे अब भी समझ ना आया है की क्यों
जिस जिस से दिल लगाया है उसने उतना ही दिल दुखाया है-
Vo rote hue bhi muskura deta ha
Jo me keh du usse ki
Me hun na❤.....-