मिलूंगी फिर किसी जनम में तो....
एक नज़र का धागा पहले ही बांध जाऊंगी....
यूं ही छूट न जाएं फिर तेरा हाथ कहीं.....इसीलिए
तेरा मज़हब भी साथ लेकर आऊंगी.....
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ज़रूरी नहीं कि हर कोई पराया हो,
ज़रूरी ये भी नहीं,
कि हर अपना,तुम्हरा हो।।-
पैरों के नीचे रख कर भूल जाता है वो ख्वाहिशें तुम्हारी,
सलामती की दुआ जिसकी तुम हाथ फैलाकर मांगते हो✨-
मुझे चाय पीना है,तुम साथ चलोगे क्या?
चलो ये बताओ,
मैं खो गया हूं कुछ दिनों से,
तुम ढूंढ़ने के लिए वक़्त निकाल पाओगे क्या?
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ज़ाहिर है,तुम्हें अपने ज़ख्म सबसे गहरे लगते हैं,
पर ख़ैर इसका तो करो मेरी जान,
जिन लम्हों को तुम याद करते हो,
हम उनके लिए बस तरसे हैं।।-
इश्क़ की कहानी तो शुरूआत में थी,
अब तो सवाल जवाब के क़िस्से होते हैं बस।।-
समझना होता तो सन्नाटे भी सुनते...
मैंने तो फ़िर भी सिसकियों में शिकायतें दर्ज की थी✨
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मेरे ख्वाहिशों जैसा कोई मिला ही नहीं,
यहां तो लोग दिल के नाम पर बस दिल रखते हैं।।-
ढल गए वो चांद सूरज कहीं,
मैंने देखा,
वो पहली मुलाक़ात की जगह आज भी हसीन हैं।।
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छुपाकर रखा हैं मैंने गुलाब तेरे नाम का,
फ़ुरसत हो, तो मिलना आज ख़्वाब में।।-