Poonam Pal   (पूनम...."साहिब़")
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Simple,music lover and docile.Like reading books...more into spiritual world!.
Joined 24 June 2017


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1 JUN AT 23:09

न जानें कौन से मंजर आंखों में समाए थे
पास तुम और होश को रवाना कर आए थे।।
संभाली न गयी मुहब्ब़त,खाक होकर रास्ते बनाए थे
जमाना कहता रहा बहुतकुछ,चुपचाप हम आए थे।।

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1 JUN AT 17:42

डूबता हो चांद, तो निकलता कहीं होगा
तुम अपनी बात करो,जिससे वास्तां होगा।।
ये क्या रवाजों को ओढ़कर,मुझसे मिलते हो
असली आदमी तो सबकुछ पहचानता होगा।।

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30 MAY AT 22:53

जो सुबह थी, वो शाम नहीं है क्या?
जो शुरूआत थी, वो अंजाम नहीं है क्या?
क्यो तमाशा बनाते हो शाम और सुबह का
करने को कुछ काम नहीं है क्या?।।

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6 MAY AT 16:07

बिछड़नें की राह आसान थी
कठिन तो उस पर चलना था
कहते हैं मुहब्ब़त मार देती है जिंदा इंसानों को
हकीक़त में जीना कौन चाहता था।।

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5 MAY AT 15:11

कभी कभी हम लाइफ में वो नहीं बन पाते
जो हम बनना चाहते हैं, उसके बहुत से कारण हैं
कभी मौका नहीं, तो कभी हिम्मत नहीं हुई
कभी हम बीमार हुए, तो कभी प्रयास की कमी
कुछ बनने और न बनने के बीच
ज़िन्दगी वही है, दुःख उतना ही है और सुख भी;
कभी सोचा आपने ऐसा क्यों?
हर एक चीज जो भी आपके साथ है और
जो हो सकती थी
उसमें एक दिन का केवल अन्तर है
एक दिन आप बहुत खुश हो सकते थे
पर ऐसा हुआ नहीं और जिस दिन कभी
आप उन तमाम खुशियों को , जो आपकी हो सकती थी
उन्हें याद करेंगे तो पायेंगे, ये सब हमारी सोच ही है
सोचो, जो होता है, सब अच्छा है तो
कौन हमें रूला सकता है;
वही न जिसे पाने की लालसा में
हम भटके और मिला नहीं
और जब मिला, तो कुछ भी महसूस नहीं हुआ,
यही दास्तां हमारी हर इच्छा से जुड़ी हुई है
अंततः बात यही समझ आई कि जो मिला है
उसी में आनंद लो, और कहो: हर इच्छा नारायण की!

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30 APR AT 13:11

जो हमारी स्मृतियों में
क्या उनकी स्मृतियों में हम भी आते हैं
मुन्ना खान, कभी कभी
बाबू खान की दुकान भी जाते हैं।

स्वप्न बचपन के क्या जवानी में
इसी तरह भाव दिखाते हैं
हम जिनकी स्मृतियों में
क्या वो भी हमें याद आते हैं।

प्रेम पुष्प है तो विरह कांटा ही
चलते चलते सफर ने ऐसा हमें बांटा भी
नन्ही बिटिया कब बड़ी हुई
दहलीज ब्याह की आ खड़ी हुई

कौन जाने देश पुराने, नये कब हो जाते हैं
घड़ियों के चक्कर में समय क्यों बीत जाते हैं
स्मृतियां तो स्मृतियां रही,
हम क्यों रोए जाते हैं।।

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25 APR AT 18:14

तुम आए और चले भी गये
जैसे बारिश, मौसम, बहार हो
बारिश में आंखें रोयी
मौसम में दिल बदला
और बहार तो मानो
सब हरा कर गयी,
पुराने जख्मों को
मीठी यादों को
उन सपनों को, जो हमने देखे थे एकसाथ
सच ही तो कहा है मैंने
तुम आए भी और चले भी गये।।

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24 APR AT 10:23

देश जब ये भूलना चाहें, हम सब अलग नहीं
आतंक देश को चीर देगा
कइयों का दिल तोड़,मन को तीर देगा
मजहब सबका एक नहीं तो,कैसे ये भेद देश करेगा

देश ये कैसे मानें,धर्म का आवरण ले
आतंकियों का चोला क्या ये जानें,
प्रेम सौहार्द्र भाईचारा
अखण्डता का नारा , देश कहेगा।।

पुलवामा हो या अनंतनाग या आज का पहलगाम
रोती आंखों का श्राप तुम आतंकियों पर
तुम अपने दिन गिनो, कायरता की राह चुनो
होगा शंखनाद,रण की भी अब बात सुनो।।

न्याय उसी धरा पर होगा
जहां खून हमारे जनों का बहेगा
शान्ति का नारा युद्ध अगर है तो
संसार फिर से वही महाभारत देखेगा।

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23 APR AT 16:09

महोब्ब़त मयस्सर कुछ इस तरह है
पास वो आते नहीं और मुहब्ब़त बेपनाह है
जो वादे मेरे नाम के , करते वो रहे
भूल जाऊं सब, कहते वो अब सदा है।।

मेरा नाम होठों पर अब आता नहीं
बन्द है सबकुछ दिल में,आंखों से बयां है
मै नहीं कुछ भी उनके लिए तो
कहता क्यों दिल बेवजह है।।

खुद को क्या सजा ये, हासिल इस तरह है
आंसू झरते अविरल, कहती धड़कन क्या गुनाह है?
मरना आंसां नहीं तो क्या जीना इस तरह है
सब सूना है अन्दर पर बाहर सब उसी तरह है।।

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23 APR AT 16:02

महोब्ब़त मयस्सर कुछ इस तरह है
पास वो आते नहीं और मुहब्ब़त बेपनाह है
जो वादे मेरे नाम के , करते वो रहे
भूल जाऊं सब, कहते वो अब सदा है।।

मेरा नाम होठों पर अब आता नहीं
बन्द है सबकुछ दिल में,आंखों से बयां है
मै नहीं कुछ भी उनके लिए तो
कहता क्यों दिल बेवजह है।।

खुद को क्या सजा ये, हासिल इस तरह है
आंसू झरते अविरल, कहती धड़कन क्या गुनाह है?
मरना आंसां नहीं तो क्या जीना इस तरह है
सब सूना है अन्दर पर बाहर सब उसी तरह है।।

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