Poonam Nain  
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Joined 23 April 2020


Joined 23 April 2020
19 AUG 2022 AT 17:50

आज़ादी के 75 साल बाद भी....

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23 JAN 2022 AT 18:52

एक ख़त
मेरे देश के सैनिकों के नाम

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17 JAN 2022 AT 18:08

मेरे चेहरे की उदासी मुझे अच्छी नहीं लगती,
ये निग़ाहें बुझी बुझी मुझे अच्छी नहीं लगती।

यूँ ही मेरा सारी-सारी रात, तन्हा जागते रहना,
ये अँखियों की प्यास मुझे अच्छी नहीं लगती।

फिर से सुना जा बिन बताए,तू कोई गीत मुझे,
ख़ामोशियों की सौग़ात मुझे अच्छी नहीं लगती।

तू मुस्कान सजा जा मेरे लबों पर पहले की तरह,
ये ग़मों की जलती आग मुझे अच्छी नहीं लगती।

उजालों से कह दे,ना खेलें आँख मिचौली मुझसे,
ये अँधेरों की बिजलियाँ मुझे अच्छी नहीं लगती।

देख आकर तू आँखों से मेरी ये गिरते हुए गौहर,
ये बेमौसम की बरसात मुझे अच्छी नहीं लगती।

अब और देर ना कर पहले सा ही आ मिल मुझसे,
तेरे बिन अब ये क़ायनात मुझे अच्छी नहीं लगती।

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12 JAN 2022 AT 16:17

आज फिर..
जीने की तमन्ना है....

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19 DEC 2021 AT 17:30

सरसों का साग,मक्का की रोटी
एक गिलास मठ्ठा और गुड़
पेश है ख़िदमत में
🙏😃🙏

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20 JUN 2021 AT 16:43


जिंदगी तो कट रही है पापा आपके बाद भी
आपका होता साथ तो अलग होती बात भी।

पीहर भी पापा अब तो मैं ज्यादा जाती नहीं
आपके ह्रदय की भाँति किसी को भाती नहीं।

जब देखती हूँ सिर पर सबके पिता का हाथ
जीवन के उस पल आती आपकी बहुत याद।

आप अपनी परेशानियाँ हमेशा ही छुपाते थे
चेहरे पर सदा ही मुस्कान हमको दिखाते थे।

जीवन में सभी फ़र्ज आपने सदा निभाए थे
आप एक दिन चले गए,हम काम न आये थे।

हमें छोड़कर गए आपको हो गए हैं तीन वर्ष
अब नहीं है जीवन के प्रति वो उमंग एवं हर्ष।

प्रतिदिन करती हूँ, करती रहूँगी आपको याद
पापा सदा ही मुझपर बनाए रखना आशीर्वाद।

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17 JUN 2021 AT 0:14

और लफ़्ज़ भी रोने लगें
तो कागज़ कोरा ही छोड़ दो
पढ़ने वाले अपने हिसाब से समझ लेंगें।

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15 JUN 2021 AT 0:52

कौन कहता है
स्पर्श करने के लिए छूना जरूरी है
बिना छुए भी देखो स्पर्श कर गया कोई

बिना आहट किए
रूह के श्वेत केनवास पर
इंद्रधनुषी सप्तरंग बनकर उतर गया कोई

भीतर कहीं बहुत गहरे में
अन्तर्मन में एक कविता बन
बिखरे सभी शब्दों को अर्थों से भर गया कोई

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8 JUN 2021 AT 22:18

टुकड़े टुकड़े दिल के उठाकर
सबसे छुपाकर जोड़ लेती हूँ
फिर बहाकर सैलाब आँखों से
वेदनाओं की चादर ओढ़ लेती हूँ।

सुबह सवेरे उठकर फिर से
जुल्फ़ों को घुमाकर मोड़ लेती हूँ
नज़रें चुराकर हर किसी से
लबों पर खूबसूरत मुस्कान ओढ़ लेती हूँ।

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8 JUN 2021 AT 2:18

वो पीड़ाएँ
जो चीख ना सकी..

वो वेदनाएँ
जो अश्रु बन बह ना सकी..

वो पीड़ाएँ और वेदनाएँ
अंतःकरण को दीमक बनकर खा गईं
और खोखला कर गईं...

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