Poonam Atrey   (पूनम आत्रेय)
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https://www.instagram.com/poonam_atrey_/
Joined 16 March 2020


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25 JUN AT 18:09

ये सफ़र जिंदगी का आसान हो जाए , मुश्किलें चंद पल की मेहमान हो जाएं,
यूं ही मेरे हमसफ़र गर साथ तू चले , हर शय तेरे चेहरे की मुस्कान हो जाए ,

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25 JUN AT 17:56

चलते हुए वक्त को जरा, मुट्ठी में क़ैद कर लो ,
क्योंकि आज के हालात पर, कुछ सवाल उठे हैं,

इंसानी शक्ल देखो , खोता जा रहा इंसान,
और भेड़िए की जात पर , बवाल उठे हैं,

बेरहम सी भूख ने , उन्हें सताया था रात भर,
अब पेट से ग़ुबार के , कितने जंजाल उठे हैं,

हसरतें तो जल गई , मुफलिसी की आग में,
धड़कते दिल से फिर भी कुछ, ख़्याल उठे हैं,

हालात के इस रवैए का , अब दोष दे किसे,
अब क्या देखे कि दिल में क्यों हवाल उठे हैं,

औरतें , बूढ़े और बच्चे , क्या महफूज़ है कोई,
इस सवाल पर भी कितने और सवाल उठे हैं,।।

-पूनम आत्रेय






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22 JUN AT 21:45

वक्त थामे झुरियां


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19 JUN AT 18:22

विकास और निजीकरण



कृपया अनुशीर्षक में पढ़े......
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15 JUN AT 17:33

कृपया अनुशीर्षक पढ़ें
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21 MAY AT 22:33

हर शौक़ पूरा हुआ करता था , दिन भले ही मुफलिसी के थे,
चंद सिक्कों से ही नवाबों सी शान थी, वो दिन ही ख़ुशी के थे,

ना कमाने की चिंता थी , ना जिम्मेदारी का बोझ था,
ना दर्द से सरोकार था उस बेफिक्र उम्र में, सब लम्हे हँसी के थे,

कागज़ की कश्ती से भी , सैर समंदर की हो जाया करती थी ,
थी जिंदगी में हर पल खुशियों की बारिश, ना लम्हे बेबसी के थे,

पिता का साथ छूटा तो , शुरू हुआ मुश्किल भरा सफ़र,
हुआ झंझावातों से सामना , तो आंखों में बादल नमी के थे,

ख़त्म हुआ जिंदगी से , जो था बेफ़िक्री का आलम,
जो ख्वाब थे आस्मां से ऊंचे , अब वो सब ज़मीं पे थे,

समझ आने लगी जिंदगी में , अब पैसों की ताकत,
सब आजमाईश-ओ-इम्तहानों के, निशाने हमीं पे थे।।

-पूनम आत्रेय



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16 MAY AT 22:40

अम्बर से चला है टूटकर ,
ज़मीं पर बिखरने को ,
तारा नहीं वो ख्वाब है,
फिर चला है निखरने को,

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16 MAY AT 22:38

तेरी आंखों के समंदर में , उतरने को जी चाहता है,
तेरी बाहों में टूटकर , बिखरने को जी चाहता है,

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16 MAY AT 22:35

फुरसत नहीं साँस लेने भर की, तो लफ्ज़ों को पुकारे कैसे,
एक शायर के ख्याल कहिए तो , कागज़ पर उतारे कैसे,

अंदर तलक टूट गया है दिल, जिंदगी की कारगुज़ारी पर,
कतरा कतरा हो गए जो,उन बिखरे ख्वाबों को संवारे कैसे,

जी जान लगा दी हमने, जिंदगी का हर इम्तिहान देने में,
ना जी सके ना मर ही पाए , अब जिंदगी को गुजारें कैसे,

बड़ी शिद्दत से की थी शायर ने , लफ्ज़ों से दोस्ती,
नम हुई आंखों से लफ्ज़ों को अब , निहारे कैसे,

सोचा था कि लिखेंगे कागज़ पर , जिंदगी का अफसाना,
जब रूठ गए अल्फ़ाज़ तो निखरेगी लफ्ज़ों की बहारें कैसे।।

पूनम आत्रेय




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13 MAY AT 18:38

पंख कटे हैं, मगर मेरे हौसले जवां हैं,
मेरे हौसले से ऊंचा , वो आकाश भी कहां है,

हौसलों ने भरी उड़ान , तो कहा मेरे दिल ने,
कि सितारों से आगे ,एक और भी जहां है,

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