कजरा ,गजरा ,लाली ,बिंदिया,
हर रंग उसने ही तो दिया है,
प्यार, दुलार, मनुहार और श्रृंगार,
हर एक अदा में एक रंग नया है,
निखर गई हूँ उससे मिलकर मैं,
मेरे रूप को श्रृंगार उसने ही दिया है,
हर एक रंग है उसमें ,जो सिर्फ़ मेरे लिए हैं,
मेरे श्याम-श्वेत मन को, इंद्रधनुषी रंग दिया है,
खुशनसीब हूँ मैं ,ये लबों की लाली कहती है,
नभ के सितारों को उसने,मेरे दामन में भर दिया है,
सब कुछ दिया है उसने ,ख़ुदा से और क्या मांगू,
मेरी मोहब्बत को उसने ,अपनी वफ़ा का रंग दिया है ,
हर फूल रश्क़ करता है , मेरे पिया रँगरेज़िया से ,
उसने इश्क़ में अपने ,मेरी रूह को रंग दिया है।।
-पूनम आत्रेय
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