हम प्यार की मस्ती में इस तरह चूर हो गए
अंतर्मन के घाव न जाने कब नासूर हो गए
सूखे ही रहे हम सहरा की प्यासी रेत जैसे
आप भले समंदर की तरह, भरपूर हो गए
लिखना पढ़ना सीखा होता तो अच्छा था
न जाने कब आप हमसे कितने दूर हो गए
बस थोड़ा सा ही वक्त गुज़ारा था साथ में
इतने में ही आप इन आंखों के नूर हो गए
बात जलने की है तो जीत गए आज हम
आप अगर मोमबत्ती हो, हम कपूर हो गए
पुजन मजमुदार ७/५/२४
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