ये दिसंबर हर साल मेरे जीवन में आग लगाकर जाता है,इस साल मैंने दिसंबर को ही आग लगा दी,, -
ये दिसंबर हर साल मेरे जीवन में आग लगाकर जाता है,इस साल मैंने दिसंबर को ही आग लगा दी,,
-
गुस्सा , लड़ाई, झगड़ा और बेरुखी सब खुद से करूंगी अब, लोगों से उम्मीदें तो आत्मसम्मान पर चोट करती है अब,, -
गुस्सा , लड़ाई, झगड़ा और बेरुखी सब खुद से करूंगी अब, लोगों से उम्मीदें तो आत्मसम्मान पर चोट करती है अब,,
जो खानदानी रईस हैं, वो मिजाज रखतें हैं नर्म अपनातुम्हारा लहज़ा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नयी नयी हैं,, #शबीना अदीब #yourquotepooja #शायरी -
जो खानदानी रईस हैं, वो मिजाज रखतें हैं नर्म अपनातुम्हारा लहज़ा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नयी नयी हैं,, #शबीना अदीब #yourquotepooja #शायरी
अगर साथ खड़ी मैं पक्ष में,जीत का विश्वास हूं मैं,शान्त रूप में सारथी हूं,क्रोध में विनाश हूं मैं,, -
अगर साथ खड़ी मैं पक्ष में,जीत का विश्वास हूं मैं,शान्त रूप में सारथी हूं,क्रोध में विनाश हूं मैं,,
मुसीबत को इस मुसीबत में डाल दूंगी इस बार,मुसीबत भी ये सोचेंगी , किसके मुंह लग गई -
मुसीबत को इस मुसीबत में डाल दूंगी इस बार,मुसीबत भी ये सोचेंगी , किसके मुंह लग गई
मैं उनसे ख़ुद के लिए थोड़ा सा वक्त चाहतीं थीं,वो है कि समय की किल्लत लिए बैठे थे, -
मैं उनसे ख़ुद के लिए थोड़ा सा वक्त चाहतीं थीं,वो है कि समय की किल्लत लिए बैठे थे,
अब थोड़ा अच्छा लगता है,जब से बदल रही हूं,,समझ चुकी हूं जिंदगी को,तब से अकेली चल रही हूं,, -
अब थोड़ा अच्छा लगता है,जब से बदल रही हूं,,समझ चुकी हूं जिंदगी को,तब से अकेली चल रही हूं,,
वैसे तो मैं बहुत सरल और सहज स्वभाव की हूं ,पर मेरे दो रूप हैं , मैं बहुत बतमीज ओर खिसकी हुई भी हूं,आप कौन सा देखना पसंद करेंगे वो आप पर निर्भर करता है,, -
वैसे तो मैं बहुत सरल और सहज स्वभाव की हूं ,पर मेरे दो रूप हैं , मैं बहुत बतमीज ओर खिसकी हुई भी हूं,आप कौन सा देखना पसंद करेंगे वो आप पर निर्भर करता है,,
जिसे तलाश हों किसी ओर की,स्पष्ट है, मैं उसकी ज़रा भी नहीं,, -
जिसे तलाश हों किसी ओर की,स्पष्ट है, मैं उसकी ज़रा भी नहीं,,
लिखा तो बहुत हैं मैंने उसे,अफसोस उसने कभी पढ़ा नहीं,, -
लिखा तो बहुत हैं मैंने उसे,अफसोस उसने कभी पढ़ा नहीं,,