Pooja Tripathi   (Pooja Tripathi)
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जो हुआ अच्छा हुआ जो होगा वो भी अच्छा ही होगा कुछ नया नही है 🤪🤣🤣🤣
Joined 29 January 2021


जो हुआ अच्छा हुआ जो होगा वो भी अच्छा ही होगा कुछ नया नही है 🤪🤣🤣🤣
Joined 29 January 2021
17 APR AT 22:10

कल की गलतफहमी
आज दीमक बन
आहिस्ता आहिस्ता
दिल, दिमाग, तबीयत
सब तबाह कर रही

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5 JAN AT 23:11

न जाने कब तक गिरेंगे ये अश्क मेरे
यकीनन दम तोडेंगे ये अश्क मेरे
ये सिलसिला भी थमेगा कहीं न कहीं
हर्फ आखिर कब तक लिखेंगे ये अश्क मेरे
नए साल में भी पुरानी यादों के पहरे
चल लिखे तेरे वास्ते आखरी ये लफ्ज़ मेरे
खुश हूं बहुत तुझसे वास्ता तोड़ के मैं
क्या हुआ अगर फिर से गिरे ये अश्क मेरे

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5 JAN AT 23:10

न जाने कब तक गिरेंगे ये अश्क मेरे
यकीनन दम तोडेंगे ये अश्क मेरे
ये सिलसिला भी थमेगा कहीं न कहीं
हर्फ आखिर कब तक लिखेंगे ये अश्क मेरे
नए साल में भी पुरानी यादों के पहरे
चल लिखे तेरे वास्ते आखरी ये लफ्ज़ मेरे
खुश हूं बहुत तुझसे वास्ता तोड़ के मैं
क्या हुआ अगर फिर से गिरे ये अश्क मेरे

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5 JAN AT 23:09

न जाने कब तक गिरेंगे ये अश्क मेरे
यकीनन दम तोडेंगे ये अश्क मेरे
ये सिलसिला भी थमेगा कहीं न कहीं
हर्फ आखिर कब तक लिखेंगे ये अश्क मेरे
नए साल में भी पुरानी यादों के पहरे
चल लिखे तेरे वास्ते आखरी ये लफ्ज़ मेरे
खुश हूं बहुत तुझसे वास्ता तोड़ के मैं
क्या हुआ अगर फिर से गिरे ये अश्क मेरे

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31 AUG 2023 AT 22:33

ये चेहरे पे उदासी आंखों में बरसात क्यों है
मुझे मेरी इक गलती पे इतना मलाल क्यों है

मान लिया मैंने कि सारी गलती ही मेरी है
फिर दिल में यूं तकलीफ,इतना दर्द क्यों है

वो जो बन बैठा मेरे आंसुओं की वजह आज
उसकी खैरियत के लिए दिल में फरियाद क्यों है

माना ये उदासी कम हो जायेगी कभी न कभी
पर इन दिनों मन में ये कसक,इतनी पीर क्यों है


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1 AUG 2023 AT 23:18

तेरी बातों में भी नही मैं कहीं
तेरे तो किसी पल में भी नही मैं कहीं
तू याद आता है क्यों मेरे यार
मेरे हर हिस्से में तू समाया है क्यों
मैं तो तेरे किसी किस्से में भी नही हूं कहीं

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29 JUL 2023 AT 19:06

शाम ढलते याद ही याद
एक तूफ़ान दिल में दबे
इक शोर खामोश हो कहीं
तू मिले तो मिले दिल को करार
ना मिले तो शिकायतें तमाम
तेरी मुस्कुराहट पे दिल खुश
तू उदास तो मुझे दर्द बेशुमार
शाम ढलते याद ही याद

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7 JUN 2023 AT 23:15

हां लिखती हूं तुम्हें
रोज लिखती हूं कोई खत
जहां हर एक शब्द में
मैं नहीं तुम नहीं,सिर्फ हम हैं
हां लिख देती हूं तुम्हारी चुभती बेरुखी
तुम्हारी शिकायत, तुम्हारा अंदाज और बहुत सारी याद
हां लिखती हूं तुम्हें
रोज लिखती हूं कोई खत
सोचती हूं भेज दूंगी सारे खत
मै बता दूंगी की तुम अच्छे लगते हो
तुम्हें देखने से ही इतमीनान है
बस कहना नही आया
जिन्हें पढ़ तुम शायद मुस्कुराओगे
या कहूं चकित हो जाओगे
हां लिखती हूं तुम्हें
रोज लिखती हूं कोई खत
और फिर आखिर सारे खत
मैंने खुद रख लिये
उन्हें पढ़ा और नम कर ली आंखे
हर शब्द में तुम्हें लिखा,तुम्हें पुकारा सिर्फ तुम्हें
फिर एक दिन
खत इकट्ठा कर जला दिए सारे
खत तक ही रह गया प्रेम मेरा
तुमसे ना कह पाई कभी,ना कह पाऊंगी शायद
हां लिखती हूं तुम्हें
रोज लिखती हूं कोई खत

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29 MAY 2023 AT 14:22

नही बनना है मुझे किसी कविता की विरह भरी पंक्ति
हां मुझे स्वीकारना ही नही कि मुझे भी प्रेम था कभी

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27 OCT 2022 AT 13:37

ख्याल कोई
परेशान नही करता ख्याल कोई
अकेलेपन से घनिष्ठता हो रही हो जैसे
अपने आप में खोई सी हूं
बहुत खुश रहती हूं आजकल
मौनता से मित्रता बढ़ रही हो जैसे
खुद पर ही प्रेम उमड़ता है
दर्पण में निहारती हूं
घंटों अपनी ही सूरत को
किसी का ख्याल अब सताता नही
परेशान नही करता ये ख्याल
की तुम मुझे याद नही करते
नही बेचैन होती अब तुम्हे चुप देख
तुम्हारा जाना अब तड़पाता नही
मुझे सुन के भी
अनसुना करना तुम्हारा
सुनो अब बिल्कुल अखरता नही
रातों को जगाता नही ख्याल तुम्हारा
संतुष्ट हूं खुद को खुद के समीप पाकर
मिल रही हूं अपनी आदतों से
खामियां साफ दिख रही हैं खुद की
अरसों बाद खुद से मिल रही हूं जैसे

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