Pooja Shrivastav  
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Joined 13 June 2020


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Joined 13 June 2020
1 APR AT 18:33

ख़्वाब और हक़ीक़त में फ़र्क न हो, कोई ऐसा मुकम्मल जहां होगा?
मैं भी हूं तुम भी हो आज यहीं, मुसलसल कल कौन कहां होगा।

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27 FEB AT 22:35

मुझे गुरूर इस बात का है कि मैं बिगडूंगी वो संभालेगा,
मैं उस से बार-बार रूठूंगी क्योंकि यार वो मना लेगा।

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11 DEC 2023 AT 23:46

इतना कठोर जो वो हो गया, उससे मेरा कोई बैर थोड़ी था,
वो हाल पूछता हम दिल निकालकर रख देते, अरे वो अपना था, कोई ग़ैर थोड़ी था।

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25 OCT 2023 AT 2:14

किसी की बिसरी चुभती याद, किसी का अधूरा ख्वाब है,
वो बेबाक सी लड़की, हर सवाल का मुकम्मल जवाब है।

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14 SEP 2023 AT 0:30

वो खुद को मेरी आदत और मुझे, इबादत लिखता है,
थकन‌ से चूर वो मुझे अपना घर अपनी राहत लिखता है,
कहता है‌‌ "तुम्हारा दिल सुकून भरे आशियाने सा है",
वो मेरी एक उफ्फ! पे हंसते हंसते शहादत लिखता है।

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4 SEP 2023 AT 17:29

तो जनाब ग़ौर फरमाएं यह शेर पेश ए खिदमत में
अमां यार एक बात अब तक समझ नहीं आई,
वो नहीं था या मैं ही न थी बेचारे की किस्मत में !!

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21 AUG 2023 AT 8:14

जो होना था वही हुआ हो तो रोना कैसा?
जब टूट ही गया तो सपना सलोना कैसा?
वो तो पल दो पल का किरदार था मेरी कहानी में,
और फिर जिसे पाया ही न हो उसे खोना कैसा!

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17 AUG 2023 AT 2:45

कोई तो सज़ा होगी ही मासूम दिल को दुखाने की,
कोई और नहीं अब तेरी बारी है, खुद खुदको समझाने की,
अरसे बीत जाएंगे किसी अनजान पर, ऐतबार फिर न होगा,
अरे खुद 'टूटा तारा'' क्या ख्वाहिश पूरी करेगा तेरे संवर जाने की?

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15 AUG 2023 AT 3:01

तुम हमेशा अधूरा प्रेम ही रहना
जिसका प्रस्ताव अब भी बाक़ी हो,

ठीक उसी तरह जैसे दुपहरी से दामन
छुड़ाए एक दिन; निशा से मिलन को होता है,

मुझे बेहद लगाव है
उस गोधुलि बेला से।

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14 AUG 2023 AT 13:34

छोड़ वो अपने बचपन का घर, नए घर को अपनाती है,
वो लड़की है जनाब मामूली मकां को घर,
और घर को आशियाना बनाती है।

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