કોઈક નાં સાથે હોવાનો અહેસાસ જરૂરી છે !
કોઈક ની પાસે હોવાની ખુશી હોવી જરૂરી છે !
છે આમ તો ઘણા ભીડ માં ચાલવા માટે !
એકલતા નાં ખૂણે કોઈક ની હાજરી અનમોલ છે...!!-
बाहरी घाव तो फिर भी दिख जाते है,
समय रहते भर जाते है !!!
हाल-ऐ-दिल बिखरा हुआ क्या करें ?
दुनिया से थकाहारा सुकून ढूंढता है !!
घर से भटका कहा चेन पाए ?
सब है यहां चोट खाये हुए
खुद ही से ठेस खाया कैसे संभले ?-
પ્રેમ - આસું ભરેલું સ્મિત !!
હું કહું મારો પ્રેમ, તું કહે તારો...!
મારો પ્રેમ મારાં થકી વહે છે તો તારા માટે !!!
તો એ મારો થયો કે તારો !!!
બસ આવી જ કંઈક કશમકશ ભરેલી જિંદગી માં
મારું તારું કરતા બધું વિસરાઈ જાય અને પછી જે
બચી જાય એ જ પ્રેમ !!!-
अब शिकायते भी क्या करे,
लिखने बैठे तो किताब कम पड़ जाये......
और सुना ने बैठे तो ज़िन्दगी
चोट खाई ऐसी तब दिल बोला
जो तेरी खामोशी तक सुन नहीं पाया,
वो अल्फाज़ो को क्या समझेगा !!!
ज़िन्दगी गुलज़ार है !!!!!
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दोस्त ही सही था वो मेरा...!!
बताया उसने की प्यार है तुजसे, बोली में काटें का रास्ता है ये
बताया उसने फूलो की बहार है, बोली में इसमें पतझड़ भी है
बताया उसने ज़िन्दगी साथ गुज़ारनी है, बोली में पल भर का बुलबुला है
वो दोस्त ही सही था मेरा...!!-
थी किसी के लिए ख़ुशी वो,
तो था महस एक हिस्सा दूजे के लीये !
माना किसी ने ज़िन्दगी उसे,
तो था महस एक किस्सा दूजे के लीये !
निभाया किसीने प्यार बखूबी,
तो बन गया एक बंधन दूजे के लीये !
कही पे चमक थी सुबह होने की,
वही कही चाँद वापिस अपने अकेलेपन में डूब रहा था...!!-
मुरशद !!!!
शरीर पर लगा घाव भी दाग़ छोड़ जाता है,,
अगर बार बार खरोंचा जाये..!
ये तो फिर भी दिल है.....!!!-
आखिर टूटकर बिखरना भी जायस है...!!
पता तो चले क्या समेटना है,
और क्या वही छोड़ आगे बढ़ना है...!!!-
અને એ લાંબી એકાલતાની રાતો વચ્ચે
ચાંદે કૃષ્ણતા ભરી રાતો સાથે જ મિત્રતા કરી લીધી....
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क्यों ढूंढ़ते बाहर, जब बसेरा उनका तुजमे ही कही
क्यों चाहिए शब्द, जब ख़ामोशी करती सब बयां
छूने दे इन हवाओ को होंठ तेरे
सेहलाने दे इस मौसम को बालो को तेरे
भर ले तू खुद को ही प्यार से इतना
क्यों इंतज़ार करें किसी ओर के चाहने का....!!!
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