सजी है आयोध्या गुलशन सी ।रामलला आने वाले है
हो रही है तैयारी हर तरफ जश्न की सबके भाग खुलने वाले है
मिला था वनवास जिस जन्मभूमि से सदियों का अब वहाँ राम राज्य बसाने वाले है
एक दरश से उनके हम धन्य धन्य हो जाने वाले है
जो आएंगे राम प्रभु तो हम शबरी बनकर,अश्रु से उनके चरण धुलाने वाले है
चरनधूलि से अपने प्रभु की हम माथे तिलक लगाने वाले है
रोम रोम रंग गया है राम रंग में, अब हम बस राम राम गाने वाले है।।🙏🏻🙏🏻
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Wish me on 4th dec
I like #writing
I like #poetry
Love you #indianarmy
Follo... read more
चाहे कोई भी पड़ाव हो उम्र का
माँ ख्याल बचपन जितना ही रखती है!!
आऊँ कहीं से मैं कभी भी
माँ मेरी नजर उतारना नहीं भूलती है!!
खुद के रूठने पर भी मुझे मनाती है,
उसकी हर दुआ बस मेरे लिए होती है!!
मैंने कब प्यार से सहलाया था सर उसका याद नहीं,
पर वो अक्सर मोहब्बत से मेरा सर सहलाती है!!
आज भी रो दूँ अगर बच्चों की तरह सामने उसके,
वो बिना किसी शिकायत के बाहों में भर लेती है!!
मुझे जहाँ खबर भी नहीं होती उसके जख्मों की,
वो मेरी खरोंच भर ना जाने कितने मलहम कर देती है!!
मैं चाहे हकदार ना हू चंद बूँद का,
वो मेरी झोली में समंदर ला देती है!!
लाखो हर्फ भी कम है उस माँ को लिखने को,
जो महज एक शब्द मैं ममता अथाह समां लेती है!!-
रास्ते अलग है मगर मंजिल सबकी वहीं है!!
तलाश सबको सुकून की मगर एक जिंदगी काफी नहीं है!!
मचल रही है लहरे सबके मन की तूफां में गर्दिश के,
नाव चल रही है कहीं और किनारा कहीं है!!
मना रहे हैं रोज खुद को की कल का सवेरा कुछ खास होगा
मगर मालूम है दिल को जो हो रहा है आरसो से होना कल भी वही है!!
गिर रहा है हर पल एक एक पत्ता उम्र के पेड़ से
चल रहा है पहिया वक्त का मगर जिंदगी थम रही है!!
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थोड़ी उससे नाराजगी हो गई
हम सुना रहे थे किस्से अपने यार के
वो अपने यार को याद फरमा रहा था
बस इसी सिलसिले में
किसका यार बेहतर इस मसले में थोड़ी
तनातनी हो गई
आज चांद से थोड़ी कहा सुनी हो गई
जा कर छुप ग़या वो ओट में
महज छोटी सी बात पर
उससे ये अनबन हो गई!!
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थोड़ा थोड़ा ही सही मगर सब कुछ बदल ही जाता है!!
जिंदगी का हर अगला पल पिछले से कुछ अलग होता है!!
बचपन में करोड़ों ख्वाहिशों से शुरू हुआ सफ़र,
जरूरत की जद्दोजहद में तबदील हो जाता है!!
खोजते है अक्सर जिस सुकून को,
बस वो ही नहीं मिल पाता है!!
बढ़ती उम्र के साथ,
दरिया मुश्किलों का भी बढ़ जाता है!!
कहता है तकाज़ा उम्र का,
दूसरों के करीब रहने वाला शक्स खुद से दूर हो जाता है!!
रंग कर स्याही बालों में उम्र छुपा लेता है,
पर ताउम्र इंसा महज नकाब ही बदलता रह जाता है!!
जो है नहीं, वो बन जाता है
बस इसी सिलसिले में अंदर ही अंदर से हो जाता है!!
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दिल रुआँसा सा हो जाता है जब
घर की याद आती है!!
जिंदगी की इस कड़ी धूप में
माँ के आँचल की याद आती है!!
जो हारू कभी खुद से तो
पापा की हिम्मत की याद आती है!!
छूट गई जो मेरी
उन गालियों की याद आती है!!
नए जुड़े हैं नाते कई
पर पुराने रिश्तों की याद आती है!!
बदल सी गई हूं कुछ पहले से मैं
जो थी मैं पहले उसकी याद आती है!!
जो है पास मेरे बेशक लाजवाब है वो
हाँ मगर जो नहीं है उसकी याद है!!-
हम उलझ रहे थे
उनसे
"मेरा या तुम्हारा"
पर
और उन्होंने
"हमारा" कह कर
"बाज़ी" मार ली!!-
"गणित की किताब" सी,
हो गई है "जिंदगी"!!
जो "पढी़" तो जा रही है,
पर "समझ" नहीं आ रही है!!-