पता है....
तुम्हें लिखने के लिए मुझे सोचना नहीं पड़ता बस महसूस करती हू और तुम्हें शब्दों मे पिरो देती हू।-
ये साल बहुत कुछ सीखा गया
कुछ अपनों को जुदा कर,
कुछ परायो को अपना बना गया
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जो रिश्ते इस साल चले गए
ये मान कर चलो
उन्हें कभी ना कभी तो जाना ही था-
I still care for those who helped me in my hard time
I still talk to those who always hurt me
I still listen to those who never want to listen me
But sometimes it hurts harder when you came to know that they just use you-
बड़ी तकलीफ़ सी होने लगी है, आज कल
जब आप किसी और को अपना कहते हो-
ना दिख जाये तू,
अब तो ये हसरत करते हैं
मोहब्बत ना ना ना,
हम तो आपसे अब नफ़रत करते हैं-
जब भी दिल मे हो कोई दर्द मुझे
इन कोरे कागजों पे बया कर देती हू
हर बार खुद को खुद से गले लगा कर
अपना प्यार बया करती हू
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जिसने जैसे चाहा वैसे नचाया है हमको
अपना कह-कह कर पराया बनाया हमको-
उसकी आँखे आज कुछ कहना चाहती है
उसकी जुबा आज कुछ खामोश सी है
छोड़ने का इरादा ले कर आया था
आज भी वो,
फिर दिल हार बैठा उसी मुस्कुराहट पे वो-