पता है....
तुम्हें लिखने के लिए मुझे सोचना नहीं पड़ता बस महसूस करती हू और तुम्हें शब्दों मे पिरो देती हू।-
बचा सकते हो, तो आकर बचा लो
लगा सकते हो, तो गले से लगा लो
मैं बस इतना कहती हूँ
इस बिखरे हुये रिश्ते को फिर से निभा लो💔-
ये साल बहुत कुछ सीखा गया
कुछ अपनों को जुदा कर,
कुछ परायो को अपना बना गया
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जो रिश्ते इस साल चले गए
ये मान कर चलो
उन्हें कभी ना कभी तो जाना ही था-
I still care for those who helped me in my hard time
I still talk to those who always hurt me
I still listen to those who never want to listen me
But sometimes it hurts harder when you came to know that they just use you-
बड़ी तकलीफ़ सी होने लगी है, आज कल
जब आप किसी और को अपना कहते हो-
ना दिख जाये तू,
अब तो ये हसरत करते हैं
मोहब्बत ना ना ना,
हम तो आपसे अब नफ़रत करते हैं-
जब भी दिल मे हो कोई दर्द मुझे
इन कोरे कागजों पे बया कर देती हू
हर बार खुद को खुद से गले लगा कर
अपना प्यार बया करती हू
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जिसने जैसे चाहा वैसे नचाया है हमको
अपना कह-कह कर पराया बनाया हमको-