बात तो सच है कि तनहा हम हैं
तेरी उल्फत में मिलें जो बेपनहा ग़म हैं
तेरी आमद की तलबगारी है
आज सुबह से मिरी आंखें नम हैं
तू न आया तो टूट जाएंगे
कि मिरे ख्वाबों में कहां दम है
दिल-ए-पामाल को क्या समझाऊं
वस्ल की बात पर ये कायम है
इश्क़ करने की ये सज़ा है मिली
हमको दीवाना करके 'वो' गुम हैं
- पूजा मिश्रा