व्याकुलता उपहार मिलेगी
जीत मिलेगी हार मिलेगी
प्रेम पलेगा जब अंतस में
पीड़ा बारंबार मिलेगी
पूजा मिश्रा यक्ष-
पुराने ग़मों की ग़ज़ल मैने लिख दी!
सोचा नहीं बस कर ली मुह... read more
दिल तुम्हें कैसे पुकारे ?
थक चुके हैं सब संदेसे,
द्वार तक जाकर तुम्हारे!
बंद कर डाले हैं तुमने,
संग झरोखे द्वार सारे!
दिल तुम्हें कैसे पुकारे!!
दिल तुम्हें कैसे पुकारे!!
क्या मेरा अपराध था बस
तुम मुझे ये कह के जाते!
बोझ न रहता हृदय पर,
और हम सब सहते जाते!
अब खडे़ यह सोचते हैं;
दिल को कैसे दें सहारे ?
दिल तुम्हें कैसे पुकारे!!
दिल तुम्हें कैसे पुकारे!!
थी न जब कोई अपेक्षा,
स्वार्थ का संबंध न था!
साथ मन का ही रहे बस,
और कुछ अनुबंध न था!
फिर भी देनी है परीक्षा;
रीति जग की,हम हैं हारे!
दिल तुम्हें कैसे पुकारे!!
दिल तुम्हें कैसे पुकारे!!
(एक अधूरा गीत .....)
-
सो गया जब मुकद्दर पता क्या करें
तुम भी तो हो गए हो ख़फा क्या करें
फर्क पड़ता नहीं तुम कहीं भी रहो
सांस ही बन गये हो गिला क्या करें!
ख्व़ाब में,सोच में,हर पहर,हर जगह
तू नज़र आ रहा है बता क्या करें!
क्या तुम्हें भी असर इश्क़ का हो गया
तुम भी तो कुछ कहो हम कहा क्या करें!
जबसे कहने लगे तुम 'रूको', ' जी','सुनो'
दिल ठहरने वहीं पर लगा क्या करें!
राह में हमको अब छोड़ देना न तुम
बिन तुम्हारे न जाये जिया क्या करें!
प्रेम तो जैसे पूजा हो भगवान की
मिल गया प्यार अब हम दुआ क्या करें!
पूजा मिश्रा यक्ष
-
खुशनुमा सा खूबसूरत ख्वाब...... ख़ुदा खैर करे.... ख़त्म ना कर दे ख़ुद के वजूद को........खौफ इस बात का खूब है..... खुदा खैर करे!!
-
बंद कमरे के झरोखे से दिखा जब आसमान
मुझसे वो कहने लगा कि पंख अपने खोल दे-
अभी अटके हैं कुछ ऑंसू मेरी ऑंखों के कोरों पर
तुम्हारी शर्ट के कॉलर में जिनको जज़्ब होना था-
ख़तम कर राब्ता हमसे बढ़ा लीं दूरियां तुमने
ख़बर इतनी हमें कर दो मिला है क्या सुकूं तुमको!
-
कहीं नहीं है मुझे मेरे जैसा चाहे जो
फकत है भीड़ यहां जिसमें मैं अकेली हूं-
दुर्बल मन को प्रेम की ताकत मिल जाए तो क्या कहना
आंखों को मनभावन मूरत मिल जाए तो क्या कहना
देखूं तो बस देखती जाऊं,सुनलूं तो फिर सुध-बुध भूलूं
मेरे जैसी उसकी आदत मिल जाए तो क्या कहना-