सच और झूठ की कसमकस में यूं खो गए हैl
तुम इतने सच्चे और हम इतने झूठे कैसे हो गए हैंll-
तेरे संग बिताये लम्हों को वापस ला पाओगे क्या?
फिर से हाथो में हाथ डाल के चल पाओगे क्या?
मेरी अनकही बातो को फिर से समझ पाओगे क्या?
तेरे संग बिताये लम्हों को वापस ला पाओगे क्या?-
तोह मुझे सुनना पसन्द करोगे क्या?
हर किसी को अपने दिल का हाल नहीं बताते हम, तो तुम मेरे ख़ास बनाना पसन्द करोगे क्या??-
बारिश की बूंदों की भोह्चार हुई दिल धड़कने लगा तेरे आस पास होने का कुछ अहसास होने लगा फिर हवाओं ने अपना रुख कुछ इस कदर मोड़ा की तेरा दीदार भी हुआ पर इज़हार न हो सका.!!
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लगता है ;
किसी के टूटे दिल का हाल लायी है......
तभी तो ये बे मौसम बरसात आयी है..........-
कुछ इस कदर उनका खुमार छाया है.......!
हज़ारो की महफ़िल मे भी उनका ही चेहरा नजर आया है....!!-
कुछ इस कदर हम पे lockdown का असर हो रहा है !
ख़्वाबों में भी सुबह शाम तेरा ही ज़िक्र हो रहा है!!-
आंखों में इस कदर बसे है वो ............
जब भी खुद को सीसे में निहारो उनका दीदार हो जाता है.......-
तन्हाई का सफर यूँ बेक़रार रहा .......
हमे उनसे और उनको हमारी तन्हाई से प्यार हुआ........-
खुद को ख़ुदी में छुपा लू ;या तेरी भाहो में बसा लू!
ये तू ही बता ;इस खुशनुमा ज़िन्दगी के दो पल तेरे बिन कैसे गुजारू!!
-pooja meena
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