जमीं से उठने वाले,
आसमां की बात नहीं करते,
जिन्हें अपनी बुनियाद का पता हो,
वो दूसरो पर उपहास नहीं करते।-
जरूरी नहीं हर मुलाकातों में मौखिक संवाद हो
भावनाओं के मौन संवाद भरे एहसास
इतना कुछ बोल देते हैं
कि लब्ज़ भी शायद फीके पड़ जाएं-
जबर्दस्ती नजरबंद करना भी
एक मानसिक प्रताड़ना है
प्रकोप भले ही शारिरिक न दिखे
पर असर बहुत होता है
ज़्यादा दबाव,एक दिन
ब्लास्ट का कारण बनता है-
मैं सोना चाहती हूं लंबी नींद
ऐसे कि कभी न उठूं
या उठ जाऊं तो फिर
ऐसे बेहोशी की चाहत न हो
मैं रोना चाहती हूं
इतना कि जितने में
मन से सारे आँसू बाहर आ जाएं
फिर न बचे
एक भी बूंद किसी दर्द का
मैं भागना चाहती हूं यहाँ से
जहाँ यादों का बवंडर फैला है
कि फ़िर कुछ न बच जाए
जिसे अब दूर हो जाना चाहिए
मैं मिलना चाहती हूं
किसी ऐसे से
मेरी शांति को सहज मानकर
मेरी ख़ामोशी पढ़ना जाने
बस बहुत हुआ,
भागते भागते
रो चुकी इतना
कि अब नींद आ रही....-
कई बार आदमी अपना दर्द इसलिए साझा नहीं कर पाता
क्योंकि साझा कर देने से वह कमजोर साबित न हो जाए
फ़िर एक दिन
वो मौत को चुनता है-
बड़े जगहों में अक्सर यही होता आया है
छोटे जगहों वाले के इमोशन को दबा-कुचला जाता है
लोग प्रैक्टिकल बात करते हैं
उपयोग के बाद, ख़राब वस्तु की तरह फेंक देते हैं
भीड़ होती है सब खुद को चमकाने में लगे रहते है
मुझे चमचमाहट पसन्द नहीं, चूभती है
हवा-हवाई लोग भी कुछ समय मे फिल्टर हो जाते हैं
इक्का-दुक्का बच जाते है
जिनसे रिश्ता रखना ठीक लगता है
और अंततः एकाकीपन में सुख मिलता है-
प्रेम का स्पर्श तो मन तक पहुँचना चाहिए
खुले तन के स्पर्श से मिला क्षणिक गर्माहट
प्रेम को चरितार्थ नहीं करता-
आने वाले समय के लिए बिता हुआ समय
प्रशिक्षण का हिस्सा है इसलिए हम सभी
ज़िन्दगी के सफ़र में,अंडर ट्रेनिंग है
(तस्वीर : पुलिस ट्रेनिंग 2019)-
प्रेम ऐसा मानसिक रोग है
जहाँ कोई कितना भी ज्ञान दे दे
धँसे हुए आदमी को बाहर नही निकाल सकता-
विवाह की न्यूनतम आवश्यकता क्या है
जोड़े की, एक दूजे के लिए हृदय से रजामंदी
इसके अतिरिक्त जो भी है
सब अतिरिक्त ही है-