तुम चले,
तो पग का एक निशान बना,
लेकिन ,
वो किसी पगडंडी की शुरुआत थी ,
अब रुकना गुनाह है।
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Civil service aspirant ✨
Art, and literature lo... read more
मैं चला, थका, रुका, उठा फिर भागा,
तुम सिर्फ़ रुके और कितना थक गए।-
अब कहां वो राहते,
चाहते और शिकायते है,
कहां फक्कड़ मस्ती और
वह जिन्दाबाद हस्ती ,
शायद, प्रतियोगिता की जिद्दोजहद में,
मैं कही गुमसुदा हूं...!-
मुझे उम्मीद है तुम ....
अपनी क्षमताओं को पहचान कर,
नया मुकाम तय करोगे और,
कुछ उपलब्धिया अपने नाम करोगे
खुद पर काम करोगे,
पता है तुम समस्त नहीं बन सकते,
लेकिन अपने प्रयासों की पूर्ण संतुष्टि से,
तुम परिणामों को सहज स्वीकार करोगे,
तुम खुद पर काम करोगे।
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जिसको अनेक लोगों ने पहना है....
लेकिन दुनिया को सिर्फ उसी का दिखता है,
जो उससे ज्यादा की हैसियत रखता है।-
मेरे जीवन के वर्षा काल में,
मानसूनी पवनो की खुशियां पर,
अल नीनो जैसी समस्याओ के प्रभाव को
निष्प्रभावी करने वाली जेट स्ट्रीम जैसी मित्र को भूगोलवेत्ता मिलने पर भूगोल भर की शुभकामनाएं .....।-
मेरे पापा भी इस बारिश जैसे हैं,
जब भी देखती हूं,
मेहनत में भीगकर,
निखर जाने का मन करता है।-
जब भी मैं पहले सुख से वंचित हुई
मुझे याद नहीं आया,
मेरा पढ़ना लिखना
और उपलब्धियों का होना,
नही ख्याल आया दुनियादारी,
या किसी का लेना देना।
मुझे याद आया बस ,
जिंदगी में उन लोगों का होना,
जिन्होंने मुझे हमेशा दिया
खुशियों का खजाना ।-
मैं तुम्हें इसलिए पसंद नहीं करती कि
तुम बहुत सुंदर हो,
या ज्ञान का समुद्र हो,
किसी की चाहत, राहत, हो
या फिर सपनों की ताकत हो,
तुम्हे पसंद करने का कारण है,
जब भी देखती हूं,
मुझे लगता है क्रांति होगी।
तुम्हारे साथ बिताया हर पल
परिणाम है मेरे कल का,
मेरी लाजवाब मंजिल का,
तुम रास्ता बेमिसाल हो,
हां! तुम सचमुच चाहत लाजवाब हो।
..... केंद्रीय पुस्तकालय ......
राजस्थान विश्वविद्यालय
- Pooja Choudhary
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