Pooja Bhupesh Painuly   (पूjaa Paiन्यूली (PJ) ✍)
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उड़ती हवा सी हूँ,
संग चलोगे,
तो ही समझ पाओगे।
Joined 11 February 2018


उड़ती हवा सी हूँ,
संग चलोगे,
तो ही समझ पाओगे।
Joined 11 February 2018
1 JUL 2022 AT 17:25

आज खाँसने की आवाज़ नहीं आ रही थी,
न ही मुर्गे की बांग से पहले कोई बड़बड़ाहट थी।
खटिया चरमराकर कहीं दम तो नहीं तोड़ गयी?
जो बुढ़िया आज इतनी गहरी नींद सो गई।

मौसम भी साफ है! बारिश का कोई नामो निशां नहीं,
शमशान ले जाने की भी कहीं से कोई बात सुनने में आयी नहीं,
बहु भी अब तक चाय लायी नहीं।

बेचारी बेज़ुबान!
माह-डेढ़ माह से नहीं सीधी खड़ी,
पर काम पर है हर वक़्त अड़ी,
साड़ी के पल्लू से कमर बांधे,
दो जिस्मों को खदेड़ते हुए चूल्हा-चौका, बरतन-बच्चे
और सभी कुछ है साधे।

ज़रा बाहर हो ही आऊं,
अम्मा की खैर पूछने चले ही जाऊं।

लो! अब ये बच्चे क्यों रोन पड़े,
अम्मा की लाठी तो ज्यूँ की त्युं ही है खड़े।
हाए रे! ये क्या ?
बेचारी... सात लड़कियों को छोड़ चली,
आठवीं को शायद साथ लिए।
मेरा कलेजा मुँह तक चला आया,
पर अम्मा की उम्मीद ने,अब भी समंदर है खुद में समाया।

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14 MAR 2022 AT 18:18



नाराज़गी से नफ़रत का फ़ासला,
केवल चार कदमों का है।

हाथ बढ़ा कर,
दूरी कम करना ही रास्ता है।।

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14 MAR 2022 AT 18:12

खुद की ग़लतियों को स्वीकारें,
क्योंकि,

रिश्ते गुलाब की पंखुड़ियों से नाज़ुक हैं,
इन्हें सहेज कर रखना आवश्यक है,
अन्यथा,

नाराज़गी से नफ़रत में,
केवल चार कदमों का ही फ़ासला है।।

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12 MAR 2022 AT 18:42

सुकूँ की इल्तज़ा है, उसे पैसों से न तोलिए,
बच्चे की नींद का मोल, सोने-चांदी से न कीजिए।।

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12 MAR 2022 AT 15:33

Go through the interest of child...
Cramming is not the answer of every competition...

Promote---
Learning by doing..
Learning by understanding...
Learning by creation...

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11 MAR 2022 AT 10:15

The one who cries outside
" fight with Nepotism"...

Supports 'inside' in their relations...

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10 MAR 2022 AT 10:00

In between responsibilities...
Peace of mind should be every one's cup of tea...

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9 MAR 2022 AT 18:09

The colour of fear might be pink
So, that a girl's heart sink
Whenever a murmuring sound chase her on every blink....

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9 MAR 2022 AT 18:00

The depth of your eyes..
And width of your heart..

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9 MAR 2022 AT 0:10

क्षणिक दिखावा 'कैसे' कर लेते हैं लोग,
रिश्ते 'जर्जर' हैं व्यंगों से,
लेकिन प्रेम को पर्दे पर प्रदर्शित कर लेते हैं लोग।

मुखावरण की कोई सीमा नहीं,
बिखरे मोती पिरोना छोड़,
रंगीन धागे से कंठ सजा लेते हैं लोग।।

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