ऑफिस के लिए गेंदा माला लेते वक्त पसंदीदा औरत के लिए एक देसी गुलाब ले लेना सच्ची मोहब्बत है
बाकी सब मोहमाया मानो✨❣️-
कितना सुंदर है पुरानी जगहों से गुजरना, वहां ट्यूशन से आते वक्त साइकिल की चैन उतरना पूरे बैच का रुककर उसका इलाज़ करना और बतियाते हुए बाएं हाथ देकर दाएं मुड़ जाना।।। Nostalgia bilkul
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प्रेम पत्र, दिवा स्वप्न, प्रेम में अठखेलियां, घूमने फिरने की योजनाएं आई सिर्फ़ प्रेयसी के हिस्से,
पत्नियों के हिस्से आईं,
जिम्मेदारियां, परिवार के बीच में घुटती खुशियां संसार भर की बंदिशे और आईं त्यौहारों की रसोई।।
प्रेमिकाओं पर लिखे गए प्रेम ग्रंथ, प्रेम कहानियां और किस्से
पत्नियों के हिस्से आए इंतज़ार भरे तार, बिजली के बिल और राशन मिलाने की परची।।
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कितना सुंदर है कबकी सुनी आवाज़ कहां आकर सुनना बिलकुल उसी अंदाज़ में जैसे मुझे बच्चा समझकर सुनाया जाता था।।
आह ।
कितना सुंदर , कितना संतुष्टि भरा, कितना खुबसूरत
एक एक करके सब दिल, दिमाग़ सब वापस चले जाना।।।-
मै खुश हूं बहोत खुश इतना की आंसू बहने लग जाए
इतने
कि शायद कभी रुकें ही ना।।-
प्रेम का प्रेम ही बना रहना बेहतर है
सात फेरों में बंध जाता है तो बन जाता है बोझ सा बंधा हुआ उम्मीदों में तामाम मर्यादो में लदा हुआ लगता है दिल पर और नही पनपने देता उस निडर प्रेम को जो हुआ करता था वो।।-
ये कह देना कि नौकरी अपने लिए करती हो किसी और पर अहसान नहीं!
एक घर ,बाहर , रिश्ते कुछ खर्चे और बचत manage करने वाली औरत के लिए
उन सभी यत्नों पर चांटा है जो करती है
वो सुबह की झाड़ू और अदरक वाली चाय से रात को सोने से पहले तक के दूध परोसने तक।।-
बाल दिवस की शुभकामनाएं, उन प्यारे बच्चो को जिनके ज़रिए हम अपना अधूरा बचपन जीते है और साथ ही,
उन बड़ो को भी जिन्होंने सारी जिम्मेदारियां सम्हालते हुए भी अंदर के बच्चे को जीवंत रखा है और सिखा रहे हैं ज़िंदगी जीने का सलीका इस बड़े और समझदार हो चुके समाज को
🌻❤️🌻-
गर कानों में हेडफोन की जगह बस की खिड़की के बाहर के खेतो और शोर भरे शहरों में तुम सुकून महसूस कर पा रहे हो तो यकीं मानो तुम ज़िंदगी के अहम हिस्से को जी पा रहे हो।।❤️🌻
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बेटियां, छुपा लेती हैं सारे छोटे मोटे राज अपने श्रृंगार तले।
और दबा लेती हैं अनेकों दर्द ह्रदय के किसी कोने में
छिपा लेतीहैं तानों को अपने पल्लू तले, उन पीठपीछे वाली बातो को उस लाली तले जिसपे हमेशा रंग दिखे चटक सा
नही जाहिर होने देती किसीको उन आंसुओ को जो बहते है अक्सर कोई अपना होकर अपना ना होने पर छुपा लेती हैं उन्हे घूंघट तले ।। और बन जाती है आदर्श,,, बिना अस्तित्व का।।-