कल फिर अपनी गालियों से मुलाकात होगी
पुरानी यादों से कुछ, दिल की बात होगी।
खुशबु अपने शहर की महकेगी जब,
रूह का ज़र्रा ज़र्रा महकेगा उस एहसास में।।-
मुट्ठी भर रोशनी काफी है,
मन के अंधेरों को मिटाने के लिए।
एक मुस्कान ही काफी है,
जिंदगी को सजाने के लिए।
जब किसी ख़ास से जुड़ जाता है नाता,
फिर कुछ और जरूरी नहीं,
उम्र बिताने के लिए।।-
क्यूँ ये दुनिया ऐसी रिवायत अदा करवाती हैं,
तुझसे बिछुड़ने की घड़ी क्यूँ आ जाती है माँ।
नए धागों से सुनहरे ख़्वाब बुन तो रही है जिंदगी,फिर भी
समय की धूप में तेरी गोद बहुत याद आती है माँ।
खुशनुमा अरमान है, खूबसूरत हैं सफ़र के रंग भी,पर
मेरी रूह तेरे आंचल की छाव से मेहरूम रह जाती हैं माँ।
अनजाने शहर की हवाओं से जुड़ गया है नाता गहरा,
कभी कभी इन से भी तेरे प्यार की महक आ जाती है माँ।
तेरे संग बीते लम्हें अनमोल है मेरे वास्ते
संजो कर रखे है दिल में जो ये यादों के मोती है माँ
जिन्दगी पल पल ही नए रूपों में नज़र आती हैं,फिर भी
तेरी याद बहुत आती है, तेरी याद बहुत आती है माँ।।
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मेरे होठों पे रखी, मैं तेरी बात लिख दूँ
तू कहे तो, तेरे दिल पर अपने,
ज़ज्बात लिख दूँ
जिस लम्हें में जिया है मैंने, साथ तेरे,
बरसों का सुकून,
रखूं काँधे पे सर फिर से, और
नई कायनात लिख दूँ।।-
जहा तेरा ज़िक्र आता है
हार जाता हूं मैं,तेरे बिना
जहान में खुद को तन्हा पाता हूं मैं।
यूँ तो हूं, चट्टान सा अटल,पर
ना जाने क्यूँ तुझ पर आकर ही
मोम सा पिघल जाता हूं मैं।।-
पढ़ लेना कभी मेरी आंखों के समंदर
लिखी है इनमे ग़ज़ल तेरे नाम की
मेरे लफ्जों ने चूमा है तेरे जज़्बातों को जब से,
पलकें इंतजार में है एक खूबसूरत शाम की-
एक अनजान चेहरा आँखों में घर कर गया
नजरों के रास्ते दिल पर असर कर गया
बरसों से उलझे थे तन्हाइयों की गिरफ्त में,
हाथ थाम हर कैद से बरी कर गया।
एक चेहरा जो अपना सा बन गया
हमे अपना बना हमारी जान बन गया
फ़ासलों में भी अदा करता है नजदीकियों की रिवायत,
कुछ रस्में निभा आज हमारी पहचान बन गया।।
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ज़हन के हर कतरे में निशान तेरे है
आते जाते ख़याल अब मेहमान तेरे है
चल रहे हो साथ हवाओं की तरह,
दिल के मौसम पर महकते गुलिस्ताँ तेरे है।।
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एक खूबसूरत ख़याल हो आप
सामने नहीं, पर दिल के पास हो आप
लफ्ज़ कम पड़ने लगे हैं
दिल ए जज़्बात ज़ाहिर करने के लिए,
मेरे दिल के टुकड़े का पूरा संसार हो आप।।-
आंखों से जाते नहीं ख़्वाब अब तेरे
दिल को छू रहे हैं ख़याल अब तेरे
बेचैन सी रातें, गुजरते हैं दिन भी इंतजार में
बेज़ान हो चले हैं अब भेजे फूल भी तेरे।।
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