pooja 08   (pooja)
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Joined 13 January 2019


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9 SEP 2022 AT 12:58

लगा के रूठे हो तुम
तो हम मनाने की चाहत कर बेठे,
जो मिले तुम तो
सवरने की चाहत कर बैठे,
नहीं मालूम था के
बातों से दायरे चुन रहे हो
उन दायरों से हमे बिखेरे जा रहे हो
खैर; ............
अब जो कभी मिले तो
उन दायरों से दूरी बुनना, बुनते बुनते कहीं दूर चले जाना
मैं ढूँढूँगी तुम्हें
पर मुझे तुम , यूही छोड देना
सिमटने का सलीका बख़ूबी ,सीखना है मुझे
ताकि मिलों कभी
तो चाहतों में फिर ,तुम्हारे कभी ना सवरे।
______________________________🍁🍁🍁

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23 MAY 2021 AT 15:53

एक तरह की "महोबत्त" तो उन्हें भी है मुझसे,
जो मेरे अक्स में ही मुझे पूरा निहार लिया करते है।

और शीशा भले ही टूटा हो,
पर "संजोह" के बड़े प्यार से रखा करते है।

की शिकायते उन्हे भी ज़रूर होंगी मुझसे
पर मुसकराते बडा "नाज़"से है मुझे देख कर।

के एक उम्र बिताई है उन्के साथ
चाहते अधूरी रखी है अभी मैने कई,
की एक नया दौर फिर से आपके साथ।

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15 MAY 2021 AT 11:29

इन्सान समय और अपनी सहूलियत के हिसाब से
शब्दो का अर्थ समझता है।
●•●•●•●•●

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12 FEB 2021 AT 8:39

किसी वक़्त के पहरे सी तुम,
संग तुम्हारे दिन से रात तक जिए,

किसी रूप के रंगत सी तुम,
संग तुम्हारे कितने मुस्कान भर जिए,

किसी कहानी की लिखावट सी तुम,
पढ कर तुम्हे ना जाने कितनी बार जिए।

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17 DEC 2020 AT 18:13

•*•*•*•*•*•
"थोड़ा हैरान ,
थोड़ा परेशान,
थोड़ा नादान हूँ,,
क्या करूँ ?
इंसान हूँ....
बहुत कुछ
जान कर भी
आज
अनजान हूँ "।
•*•*•*•*•*•

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5 DEC 2020 AT 20:49

नया दौर चला है , यहाँ हाँथ थाम कर,
पैरों के निचे काटें भी बिछाये जाते हैं।

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23 NOV 2020 AT 9:58

सुकून से नवाज़ी शक्ल पर,हिज़ाब का असर नही रहता,
और गर नूर छलकने से बया हो जाये,,
तो ऐतबार निगाहों पर नही रहता।

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25 OCT 2020 AT 16:32

थोड़े किस्से किनारो पर भी बन जाते है,
हाँ रेत के सही पर एक वक्त खातिर गमहीन होते है।

थोड़े किरदार हक़ीक़त से अलहदा रह जाते है,
हाँ बेपर्दा न सही पर मौजूद होते है।

थोड़े वजूद फिके भी रह जाते है,
हाँ सितारे सही पर आसमान के होते है।

थोड़े चेहरे बस इसी तरह रह जाते है,
हाँ शिकायते सही पर खामोश रह जाते है।

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19 APR 2020 AT 22:19

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कुछ वक्त के पैमाने से चुरा कर लाई हूँ,
खबर लगी , तो ज़रूरते बढ़ जाएंगी,,

कुछ बेवजह ख़यालो को लपेट कर लाई हूँ,
वजह खोजी , तो ख़यालो में समझ बढ़ जाएगी,,

कुछ बेवक़्त बाते याद करके आयी हूँ,
वक़्त ढूंढा , तो भूल जाऊंगी,,

कुछ खूबसूरत ख़यालो की चाहत पकड़ लाई हूँ,
गर बीत भी गयी , तो यादे रह जाएंगी।
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9 MAR 2020 AT 12:07

•~•~•~•~•
कुछ "तुम" जैसे ,
कुछ "मुझ" जैसे,
कुछ "हम" जैसे,
रंग लाई हूँ
पसंद आ जाये तो बस एक दफ़ा,
चेहरे पर सजा कर मुस्कुरा देना।
•~•~•~•~•

Happy Holi 😍

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