ᗩᗷᕼISᕼEK SIᑎGᕼ ᖇᗩᒍᒍᑭᑌT   (aviii)
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UPSC aspirant, Mukharji Nagar Delhi.
Joined 24 April 2018


UPSC aspirant, Mukharji Nagar Delhi.
Joined 24 April 2018

प्रेम में पड़ा पुरुष निरादर भी सहन करता है..
निरादर हो तो, स्त्री प्रेम को स्वीकार नहीं करती..

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संसार की तमाम अनैतिक कार्यों की सारणी में पहले स्थान पर आता है किसी भी व्यक्ति का अपने जीवन में दूसरों पर निर्भर होना...

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दिल ने किसी के लिए भी इंतजार, इबादत और दुआएं करना छोड़ दिया है...
मोहब्बत की कोई इंतहा नहीं है फिर भी उस शख्स से वफाएं करना छोड़ दिया है..!

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समाज में अनुपयोगी रूढ़ियों को ढोने की आदत ही...
एक स्वच्छंद मन को विद्रोह के लिए विवश करता है...

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उम्मीदों के शाए में भी अक्सर धूप हुआ करती है..
जब कभी मन विह्वल और जिह्वा चुप हुआ करती है..

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काल की गति जैसी भी रहे, तुम जो हो वहीं रहना..
क्या फर्क है जमाने की नजर में गलत या सही रहना..

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जीवन के तमाम बुरे अनुभवों से भी दुखी करता है..
जाने अनजाने किसी अपने को अपने से ठेस पहुंचाना..

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प्रेम के प्रति उसका उदासीन व्यवहार और..
मेरा उस से प्रेम करना, मानो मैं कुरुक्षेत्र में हूं..

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तुम्हारे और मेरे संबंधों के मध्यांतर में...
मैं कभी निर्मित नहीं करूंगा कोई सोपान क्रम...
मैं तुम्हारे माथे को चूमने के लिए झुकने से अधिक...
तुमको अपने बाजुओं में उठा लेना पसंद करूंगा...

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इक शख्स से इतर कितना कुछ है पाने के लिए...
फिर भी उस तक आकर सारी ख्वाहिशें खत्म हो गईं..!

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