रिश्तों से हारना पड़ता है..
-
ज़िंदगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और जान तन्हा
हमसफ़र कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे तन्हा तन्हा
जलती बुझती सी रौशनी के परे
सिमटा सिमटा सा एक मकान तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जायेंगे ये जहां तन्हा..— % &-
ना गिले रहे,ना गुमा रहे, ना गुज़ारिशें, ना गुफ्तुगु,
ना मैं रही, ना तुम रहे, ना फरमाइशें, ना जुस्तुजु..!!-
उस ने दूर रहने का मशवरा भी लिखा है,
साथ ही मोहब्बत का वास्ता भी लिखा है,
उस ने ये भी लिखा है मेरे घर नहीं आना,
साफ़ साफ़ लफ़्ज़ों में रास्ता भी लिखा है,
कुछ हर्फ लिखे हैं ज़ब्त की नसीहत में,
कुछ हर्फ में उस ने हौसला भी लिखा है।।-
Bano jo “Dost” to phir sirf “Wafa” ho jao
Bano jo “Pyar” to phir had se “Fida” ho jao
Bano jo “Dil” to dhadkan ki “Sada” ho jao
Bano jo “Zulf” to badal ki “Ghata” ho jao
Bano jo “Khoon” to rag rag main “Rawaan” ho jao
Bano jo “Dard” to zakhmon ki “Dawa” ho jao
Bano jo “Haath” to phir “Dast-e-Dua” ho jao
Bano jo “Husn” to “Pakeeza Haya” ho jao
Bano jo “Jaan” to phr “Jaan-e-Wafa” ho jao.-
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता हैं..
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है..!
घर की वहशत से लरज़ती हूँ मगर जाने क्यूँ..
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है..!
डूब जाऊँ तो कोई मौज निशाँ तक न बताए..
ऐसी नदी में उतर जाने को जी चाहता है..!-
तुझसे मोहब्बत की भूल पे हम को इतना तू बदनाम न कर
हम ने अपने घाव छुपा कर तेरे काज सँवारे हैं।।-