Poetry Of Ziya   (Poetry of Ziya)
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इक अल्हड़ मस्त फकीर
Joined 3 May 2018


इक अल्हड़ मस्त फकीर
Joined 3 May 2018
8 NOV 2021 AT 17:23

तुम कभी मेरे दर्द की कहानी तो पूछ लो,
वक़्त नहीं पास तो मुँह जबानी ही पूछ लो।
बस हँसता चेहरा है अंदर जख्म ही जख्म है,
कभी फोन लगाकर जख्म की निशानी ही पूछ लो।।

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14 MAY 2021 AT 16:04

ईद हो या मोहर्रम
खुशी हो या गम,
अब तो ना वह मुझे
याद है
और ना ही मैं उसे
याद हूँ.

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14 DEC 2020 AT 17:55

ज्ञान भी फेसबुक पर देते हैं इस शहर के लोग, 

वह अंगुलिमाल हैं या महात्मा फर्क पता ही नही चलता.

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9 DEC 2020 AT 13:00

लघुकथा पढ़े

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8 NOV 2020 AT 10:23

तुम कभी मेरे दर्द की कहानी तो पूछ लो,
वक़्त नहीं पास तो मुँह जबानी ही पूछ लो.
बस हँसता चेहरा है अंदर जख्म ही जख्म है,
कभी फोन लगा कर जख्म की निशानी ही पूछ लो.

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2 OCT 2020 AT 12:53

Caption में पढ़े.

ए गांधी जी

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27 SEP 2020 AT 11:48

डिजीपी के पद छोड़
लोग उठल चाहे चुनाव में,
जेकर किमत अनमोल
ऊ बिके खुदरा भाव में.

सात पुस्त सुख भोगेला
आवते भाई राजनीति में,
कुछ खजाना बैंक में रहे
कुछ रहेला पेटी में.

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25 SEP 2020 AT 21:44

कैप्शन में पढ़े

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12 SEP 2020 AT 18:56

हम हई कुचरा

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11 SEP 2020 AT 17:21

वर्चुअल के चक्कर में जब से उलझी ये जिंदगी,
हकीकत में रहने का सलीका ही भूल गए लोग.

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