निराशा से घिरा मन उदासी में ही रहना चाहे
पल- पल हर पल अंधकार में ही जीना चाहे
हो जाती है आदत खुद में ही अकेले रहने की
जिंदगी से ज्यादा मौत ही अपना सा लागे-
हर तर्क का आधार हूँ,
किसी के लिए अभिमान हूँ,
तो किसी के लिए अहंकार हू... read more
आत्मा का परमात्मा से मिलान
जब आत्मा का परमात्मा से मिलन होगा.
खुशी से रोना चाहोगे तब भी न रो पाओगे,
हर्ष से प्रफुलित तुम हँस भी ना पाओगे,
चलने के लिए न ही मन होगा,
अलौकिक परम आनंद ही सर्वत्र होगा,
उछलने के लिए न ही तन होगा,
बस एक शून्य में विलय होगा तन विहीन आत्मा बस परमात्मा में विलीन होगी,
मनुष्य जन्म पाया है तो बस भक्ति कर बंधु,
जो ये हृदय पाया है तो बस उससे प्रेम कर बंधु-
आज मैंने ज़िन्दगी को देखा
बड़े ही गौर से देखा
सुबह से शाम
शाम से सुबह तलक देखा
पाया बहुत खोया थोड़ा सा
उस खोये हुए को पाने के लिए
आज मैंने ज़िन्दगी को देखा
बड़े ही गौर से देखा-
कच्ची मिट्टी को कहाँ पता था
की वो दीप बन विभा फैलाएगी
घनघोर तिमिर को भेद
श्री राम को इक दिन राह दिखाएगी . .
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चाँद को देखा तो
सितारों ने शिकायत की
सितारों को देखा तो
चाँद ने कहा मुझसे बेईमानी की
चाहे जो भी हो ये दोस्त
इस रात की गलती है
जो जल्दी गुजरती नहीं
फरमाइश तो सुबह की थी
लेकिन चाँद की रोशनी में इस दिल ने
सुबह समझ कर नादानी की-
रातभर बरसते मेघों को क्या पता
यहाँ सड़क किनारे भी लोग सोते हैं
बेसहारा, बेबस, बिना छत के
फूटपाथ ही जिनकी चारपाई है-
दरिया को कहाँ पसंद है दायरे में रहना,
बाढ़ बन सब कुछ बहा ले जाता है,
समंदर में समा कर भी कहाँ अस्तित्व है खोता,
लहरें बन साहिल से वही तो टकराता-
दरिया को कहाँ पसंद है दायरे में रहना,
बाढ़ बन सब कुछ बहा ले जाता है,
समंदर में समा कर भी कहाँ अस्तित्व है खोता,
लहरें बन साहिल से वही तो टकराता है।
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रात भर सोया नहीं,
या जल्दी जग गया हूँ।
ये राज उन्हें भी नहीं है मालूम,
जो हम बिस्तर थे।
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