जब थमाया गया तुझे तेरे हाथ में
तब तु ईतने पास ना थी
तुझसे भागकर दुर जाती थी
तब तु ईतनी खास ना थी
पर एक दिन तुझको पास पाया
कोरे कागज ने नजदिक बुलाया
वह तु हि थी
जो मेरा हाथ थामे
उस कागज से बतीयाती रही
मे मौन पंछी छटपटाता हुआ
तु ऊड सकती है यह बताती रही
ए कलम, क्या कुछ नहि सिखाया तुने
शायर ,कवि, लेखक न जाने
क्या से क्या बनाया तुने..
अब किसी का हाथ छुटे
तो डगमगाती नही हु
क्योकि अब तुझसे दुर
भागकर जाती नही हु
पता है तु आकर फिरसे हाथ थामेगी
दिल के अरमानो को कागज पर उतारेगी
ए कलम , शुक्रिया तेरा
जो तुने मुझे लिखना सिखाया
वरना ना जाने आलम क्या होता
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U toh dukano me paiso se
Junun nahi milta...
Agar tu nahi hota
to sochti hu
Sukun nahi milta...-
Majburiya aksar jarurato ko badal deti hai pr khwahishe ???
Voh toh bagavat pr utar ati hai.-
गणित नसते..
"जे हवे ते नाही "
मी ह्यास भीत नसते
कारण , कधी काय होईल?
ह्याचे गणित नसते
मऊ मखमालीचा मार्ग किंवा,
मग वळण खरखरीत असते
रस्त्यात कोणती वाट लागेल
ह्याचे गणित नसते ..
वाटतं जग छोटं आहे
खरेतर बेडुक विहिरीत असते
जग किती मोठे आहे
ह्याचे त्याला गणित नसते...-
आयुष्यात एका point ला सगळंच कळतं
मग नकळत डोळ्यांत पाणी तरळतं
वाटत अश्रू ढाळत बसावे क्षणभर
पण ,वाटतं रडल्याने कुणाला कुठे काय मिळतं ???
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बादल गरजने के दिन गये
अब बरसात कि बारी है
हार का तो पता नहीं
जित कि अब तैयारी है
मुहब्बत है खुदसे ,जैसे भी हुं
पर अब शिद्दत से बदलना जारी है ..
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न सांगता हो आज माझे
शब्द सारे हरपले ..
भावनेत कुणास मांडावे
मी माझ्यातच परि गुंतले...-
भरी महफिल में कविता
बोलकर आगये हम ..
लोग कहते हैं बातो बातो मे शहद
घोलकर आगये हम ..
उन्होंने पुछा कैसे सोचलेते हो ??
कैसे बताये कि दिलं के राझ खोलकर आगये हम..
@ash tells shayri
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भरी महफिल में कविता
बोलकर आगये हम ..
लोग कहते हैं बातो बातो मे शहद
घोलकर आगये हम ..
उन्होंने पुछा कैसे सोचलेते हो ??
कैसे बताये कि दिलं के राझ खोलकर आगये हम..
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Dekhte rahe duniya ki taraf
Bade gaur se hum...
Kuch na tha.
Kamiya toh bass muzme thi-