गुजरता हुआ दिसंबर और गर्माहट सी तेरी बाते.
बड़ी बेचैनी देती है बिन मेहबुब के ये सर्द राते-
PoemsRindana
(®¡nd..}}})
1.1k Followers · 556 Following
Shoqe-E-Rindana
Joined 18 May 2019
22 DEC 2024 AT 20:32
2 JUN 2024 AT 18:50
दरकार तो उसे है मेरी पर नजर अंदाज करता
मै बयां नहीं करता और वो जाहिर नहीं करता-
26 MAY 2024 AT 21:44
जैसे - जैसे मौसम का मिजाज बदल गया.!!
वैसे वैसे रिन्द खामोशी के सांचे मे ढल गया.!-
31 DEC 2023 AT 17:38
मुझ रिन्द को आज की शाम से क्या लेना
प्रभु श्री राम के नाम में मदहोश मुझें होना-
3 JUL 2022 AT 20:10
कभी तो बरस घटा ऐ जाम बनके, हम रिंदो की तृप्ति तो कर
प्यासे है सदियों से हम, कभी तो शाम ऐ अब्र हमारे नाम कर-
12 JUN 2022 AT 19:30
जिनके जहन में सवाल थे उनके कदम मंदिर मज्जिद से होके गुजरे
मुझ रिन्द की तलाश सुकूँ ऐ होश की थी कदम महकाने से निकले-