कैसे दूसरे को बुरा कह दूं
अच्छाई मुझमे होती
तो जन्मो की विरक्ति न मिलती-
झूठ के बनाये
मीनारों से निकलने में
त्तक्लीफ बहुत होती है
शायद इसीलिए लोगो ने
झूठ में जकड़े रहने की
पीड़ा को स्वीकार लिया
और सत्य की रोशनी
को नकार दिया
उन्हें भय था कि
सत्य का उजाला
उन्हें अंधा न कर दे
परंतु वो इस बात से अनभिज्ञ थे
की वो झूठ के आश्रय में
अंधकार पूर्ण जीवन ही
व्यतीत कर रहे है।
और सत्य का साक्षात्कार की
उनके जीवन को सही
दिशा प्रदान कर सकता है।-
कितने जीवन याद नही
कितने रूप कुछ याद नही
पाप हुआ क्या याद नही
बस इतना स्मरण हो आया है
जन्मो पहले तुमसे बिछड़ी
जन्मो का सफर कुछ याद नही-
जिस उम्र में
लोग रात भर जाग कर
प्रेम पत्र लिखते है
उसी उम्र में हम
दिन रात एक करके
सरकारी चिट्टियां
लिख रहे है।-
मृतजीवी पौधे
बरगद के, पीपल के
या अन्य बड़े पेड़ो पर
अपना अधिकार समझते है
या स्वार्थ वश रिश्ता रखते हुए
उन्ही पेड़ो के द्वारा अपने
कार्य सिद्ध करते है
और अंततः उन्हें
खोखला कर छोड़
दूसरे बड़े पेड़ो की खोज करते है
बड़े पेड़ो का छोटे पौधों के
प्रति प्रेम, दया एवं
आत्मीयता की भावना
स्वयं उनके विनाश का
कारण बन जाता है
अधिकतर मनुष्य मृतजीवी
पौधे के समान होते है
और बहुत कम बरगद के पेड़
जिन्हें गिराने में हम कोई कसर
नही छोड़ते।-
पशुओ में मानवता
देखने को मिल सकती है
लेकिन मानवो में सिर्फ
पशुता ही देखने को मिलता है-
दुनिया जैसी ही
वैसी ही अच्छी है
इसे वेदो में
नरकलोक भी कहा
गया है,
क्या पता ये वही नरक हो
जिसकी उलाहना हम
दुसरो को देते रहते है
क्या पता हम खुद ही
नरक की प्रताड़ना
सह रहे हो और
स्वयं के कर्मो के
स्थान पर ईश्वर के
ऊपर दोषारोपण कर के
स्वयं को ही सांत्वना दे
रहे हो।-
छोड़ दो मुझे
छोड़ पाओ गर तुम
कर दो आज़ाद
इस पिंजरे को
खोल पाओ गर तुम
की कहते हो
दुनिया जिसे तुम
सलाखें है वो
तोड़ दो इन्हें
तोड़ पाओ गर तुम।-
हे मोहन
कब कटेगी विरह
की ये घड़ियां
कब मिटेगी ये तृष्णा
कब होंगे दर्शन तेरे
कब मिलेगी तृप्ति
कब मिलेगी तृप्ति।-