गैरों को देख कर क्या तू मंजिल चुना करता है
वो क्या ही आगे जाएगा, जो बस पीछा किया करता है-
पंक्ति_पंडित💕 ۰۪۫P۪۫۰۰۪۫P۪۫۰
(अद्वितीय)
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अपनी कहानी लिख अपने ही किरदार को जिओ न, दुनिया तो कल भी कुछ कहती थी और कल भी कुछ कहेगी|
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Joined 24 October 2018
26 JUN 2021 AT 19:22
16 JUN 2021 AT 0:00
अब तारें नहीं,
तेरे नज्मों की ये स्याह चमकती है
काली रातों को जब तेरी मैं
डायरी के पन्ने पलटती हूँ-
21 NOV 2020 AT 21:58
तू आ तो पास मेरे
तुझे एक राज़ बताऊँ
तुम सिर्फ मेरे हो
तुझ पर अपना हक जताऊं...-
13 JUN 2021 AT 19:21
उसने पूछा, तुम ऐसे एक आंख से कितना देख लेती हो?
मैंने कहा, एक नज़र से तो बच नहीं पाए, और क्या चाहते हो? 😸😸😸😸-
13 JUN 2021 AT 19:06
फितरत का बदलना तो
वक्त का ही बदलना है
जो छुपकर चाँद देखे थे
उसे अब तारों की चाहत है-
8 MAY 2021 AT 23:23
तारों की आई थी बारात
वो चांद विदा ले चली
रजनी को भी रुला गयी-
6 MAY 2021 AT 15:03
इन ख्वाहिशों एक पल भी
सुबह-शाम ये आवारा बन घूमा करते हैं-