जब किसी की "जिंदगी" में....
आपकी "अहमियत" शुन्य हो जाएं....
तो उस इंसान से "फांसला" बना लेना ही सही होता है..
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ये दुनिया ज्ञान का भण्डार
मोहब्बत से दूर, हनुमान जी के पास
झूठ से नफ़रत और ... read more
उनकी "हरकतें" देख "रूठ" जाता है...
ये किसका "दिल" है, मेरे पास....
जो मेरी "इजाज़त" के बग़ैर "टूट" जाता है...-
कुछ ख़ास नहीं मेरे पास शब्द...
जो आपकी तारीफ कर सकूं..
बस मुझे इतना कहना आप बहुत अच्छे दोस्त तो हो ही ...
लेकिन इसके साथ एक अच्छे इंसान भी हो ....
आपने अनेक नाम बदला अपना लेकिन अपनी "किरदार" कभी नहीं....
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मैंने हर उस इंसान को "अलविदा" किया....
जिन लोगों ने मेरे बीतें हुए कल को "जहर" किया...-
मुझे अब वहा जाना है....
जहा मेरी "दुनिया" में.....
मेरे अलावा" कोई दुसरा" नहीं था....
क्योंकि मुझे डर लगता है,अब किसी के साथ से....-
ख़ुद के लिए जो "लड़ेगा" वहीं "इतिहास" रचें गा....
और "डर" इंसान को "कमजोर" बना देती है....
"दुःख" कितना भी बड़ा हो इंसान के "साहस" से बड़ा नहीं होता....
बुरी परिस्थितियों से "भागना" नहीं उनका सामना करना चाहिए....
और एक अंतिम बात....
एकमात्र साहारा भगवान तो भजो राम-राम ....-
जिस तरह "रावण" को.... सीता जी नहीं मिली उसी तरह "शूर्पणखा" को.... राम जी मिले नहीं इसका "तात्पर्य"यही है.... इच्छा के "विरूद्ध" जाओगे या जाएगी..... तो "रावण" की तरह "जान" और "शूर्पणखा" की तरह "इज्ज़त" जाएगी।
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देखो....
आंखें मेरी "भरी" है.....
लेकिन इस बार वज़ह "तिनका" नहीं है।-
किसी के "नजरों" का चांद , तारा बनने से अच्छा है...
अपने नजरों में पूरा पा पूरा "सुर्य" बनना ....
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