चलं वित्तं चलं चित्तं चले जीवितयौवने ।
चलालमिदं सर्वं कीर्तिर्यस्य स जीवति ॥
मनुष्य का चित्त (मन की भावनायें ) परिवर्तनशील है और धन संपत्ति, युवावस्था तथा जीवन भी चलायमान है , ये सभी चलायमान (अस्थाई ) है, परन्तु किसी व्यक्ति द्वारा अपने शुभ कर्मों से अर्जित उसकी कीर्ति सदा बनी रहती है।- आचार्य त्रिपाठी जी
12 SEP 2019 AT 22:09