पं प्रितेश पाठक   (पं. प्रितेश पाठक)
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फिलहाल बहुत कुछ सिख रहा हु ,,,,
Joined 23 June 2021


फिलहाल बहुत कुछ सिख रहा हु ,,,,
Joined 23 June 2021

तुम ही दर्द तुम ही ,दवा
तुम ही हमदर्द ये मेरे हमसफर !

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यू नाराज होकर न जाया करो
तुम्हारी नाराजगी मेरा सब कुछ ले जाया करती है

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की दो नाव पे पैर रख नही सकता ,
जिमेदारियो और इश्क दोनों का बोझ ढो नही सकता ,
सपने हैं पूरे करने जो इश्क़ में पागल होकर हो नही सकता

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ये झुकी पलके ये मुस्कुराता चेहरा ,
गालो पर काली जुल्फों का पहरा ,

तेरी याद में , तड़पता दिल बेचारा
तुझे ख्वाब में देख मुस्कुराना मेरा

हर दुआ तेरे लिए , हर ख़ुशी तेरी मांगता ये दिल हमारा !

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जो मिला है उसकी इज्जत की जाए,
उसे प्यार किया जाए
,उसके लिए प्रभु को धन्यवाद दिया जाए!
फिर प्रभु से और बेहतर सर्वश्रेष्ठ की मांग की जाए !

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हँसी के पीछे गम छुपाना आता है ,
मन रोता है ,चेहरे से मुस्कुराना आता है !

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कुछ कहने को जी चाहता हैं,
तुझे देखने को जी चाहता
फिर रुक जाता हु ,कुछ सोच कर,
न जाने क्या ये जी चाहता हैं !

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हर रूप मेरा तुम देख लेना,
हुनर है या नही परख लेना ,!
दुनियाभर की बाते पूछना ,
तुम मुझे खुद से भी जय्याद जान लेना !

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तुम न बताओ अपने मन की बात !
और हम खोल के रख दे अपने दिल की किताब
,ये चाहते न पूरी हो सकेंगी जनाब ,!
हमे भी सम्भाल के रखने हैं अपने जज्बात !🥰

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हँसने को दो पल चाहिए
बैठने को तेरा साथ
जुल्म जमाने के सह लेंगे
अगर हाथों में हो तेरा हाथ !

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